- आरएलपी ने एनडीए का साथ छोड़ा, किसानों के समर्थन में हनुमान बेनीवाल का फैसला
- किसान पिछले 31 दिन से आंदोलन कर रहे हैं
- किसान संगठनों की मांग है कि सबसे पहले केंद्र सरकार तीनों काले कानूनों को खारिज करे
नई दिल्ली। किसान आंदोलन के संबंध में किसान नेताओं ने सिंघु बार्डर पर बैठक की जिसमें सरकार से बातचीत का प्रस्ताव भेजा गया। किसानों 29 दिसंबर को सुबर 11 बजे बात करेंगे। लेकिन इसके साथ एनडीए को बड़ा झटका लगा है। शिरामणि अकाली दल के बाद आरएलपी ने भी झटका दे दिया है। हनुमान बेनीवाल ने एनडीए को बाय बाय कह दिया है।
हनुमान बेनीवाल ने एनडीए का साथ छोड़ा
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने कहा मैंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) छोड़ दिया है। ये कानून किसान विरोधी हैं। मैंने एनडीए छोड़ दिया है, लेकिन कांग्रेस से गठबंधन नहीं करूंगा। इससे पहले बेनीवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास 303 सांसद हैं जिस वजह से वह कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही है। एनडीए में बने रहने के बारे में उन्होंने कहा कि हरियाणा बॉर्डर के शाहजहांपुर में बैठक के बाद एनडीए में रहने या छोड़ने पर फैसला लिया जाएगा।
एसएडी ने छोड़ दिया था साथ
कृषि कानून के मुद्दे पर केंद्र सरकार अपना पक्ष रखते हुए कह रही है कि यह किसी के खिलाफ नहीं है, कोई भी शख्स किसी किसान की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता है। लेकिन एनडीए के घटक दलों को भी सरकार के इन दावों पर यकीन नहीं हुआ और सबसे पहले शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ दिया और आरएलपी ने संकेत देना शुरू किया कि अगर मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो वो एनडीए का हिस्सा नहीं रहेंगे।