- सीएम अशोक गहलोत खेमे के विधायक राजभवन में डटे रहे, गवर्नर से सत्र बुलाने की मांग
- राज्यपाल कलराज मिश्रा बोले, विर्मश के बाद कोई फैसला
- सचिन पायलट को राहत मिलने के बाद अशोक गहलोत खेमा हुआ सक्रिय
जयपुर। राजस्थान की सियासत कई रास्तों पर सफर तय कर रही है। शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट के लिए राहत वाली खबर आई तो अशोकत गहलोत विधायकों के साथ राजभवन में डट गए। राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करने लगे। राजभवन में गहलोत के समर्थन में नारेबाजी हुई तो हम होंगे कामयाब के साथ संदेश दिया गया कि सब ठीक है। विधायक राजभवन ने निकलने के बाद फिर अपने होटल पहुंच चुके हैं।
फैसले के बाद पायलट समर्थकों ने निकाली भड़ास
राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट के समर्थन में यथास्थिति की बहाली का आदेश देकर जहां उन्हें राजनीतिक तौर पर जितनी राहत दी उतनी ही मुश्किल गहलोत कैंप के लिए उठ खड़ी हुई। इधर पायलट खेमे के विधायकों ने कहा कि न तो किसी ने बंधक बनाया है और ना ही वो बीजेपी के संपर्क में हैं। अशोक गहलोत को समझना होगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन लोगों को इस तरह के कदम उठाने पड़े। दरअसल गहलोत साहब के पास मिलने के लिए समय नहीं होता था। वो लोग अपने क्षेत्र की दिक्कतों को रखते थे। लेकिन उसका निराकरण नहीं होता था।
बीजेपी के एक बयान के बाद गहलोत खेमा और हुआ सक्रिय
अशोक गहलोत ने कहा कि धनबल के आधार पर सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है। लेकिन वो साजिश कामयाब नहीं होगी। दरअसल राजस्थान हाईकोर्ट का जब फैसला आया तो उसके तुरंत बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया का बयान गौर करने के लायक था। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट सीएम बन सकते हैं। इस बयान के आधार पर कांग्रेस को लगने लगा कि अब खुलकर मैदान में आना होगा। बताया जाता है कि गहलोत खेमे में कुछ ऐसे विधायक हैं जिनकी निष्ठा संदेह के घेरे में है। गहलोत को यकीन था कि अगर फैसला सचिन पायलट के खिलाफ जाता है तो उनकी राह आसान हो जाएगी।