- कानपुर मुठभेड़ केस में आठ पुलिसकर्मी हुए थे शहीद, बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई थी पुलिस की टीम
- हर रोज इस मामले में हो रहा है सनसनीखेज खुलासा
- कानपुर आईजी का बड़ा बयान,स्थानीय थाने का पूरा स्टॉफ संदेह के घेरे में
लखनऊ। कानपुर मुठभेड़ केस में रविवार को पुलिस को अहम कामयाबी मिली जब विकास दुबे का दाहिना हाथ दयाशंकर अग्निहोत्री को गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। उसका कहना है कि चौबेपुर पुलिस स्टेशन से ही जानकारी दी गई थी कि विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस टीम दबिश देने वाली है।
यूपी पुलिस का बड़ा बयान
इस बारे में कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल कहते हैं कि स्थानीय पुलिस स्टेशन का पूरा स्टॉफ संदेह के घेरे में है। इस सिलसिले में जांच जारी है कि किस तरह से विकास दुबे को पुलिस के मूवमेंट के बारे में जानकारी हाथ लगी। जो भी इस संबंध में दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होगा।इसके साथ ही विकास दुबे के खिलाफ 1 लाख रुपए का ईनाम घोषित करने जैसा प्रस्ताव डीजीपी को भेज दिया गया है।
बिजली किसके कहने पर कटी
शिवली पॉवर सब स्टेशन के ऑपरेटर छत्रपाल सिंह बताते हैं कि 3 जुलाई को उन्हें चौबेपुर पॉवर स्टेशन से कॉल आई थी कि बिकरु गांव में तार टूटा हुआ है, इसकी वजह से हादसा हो सकता है, लिहाजा बिजली काट दी गई। बता दें कि वारदात वाली रात जब विकास दुबे अपने पांव के नीचे वर्दी को रौंद रहा था तो उस वक्त बिजली नहीं थी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से सनसनीखेज जानकारी
शहीद पुलिसकर्मियों की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से जो पता चला है उससे साफ है कि वो विकास दुबे के दिमाग में खून सवार था। जिस बेरहमी से पुलिसवालों को मारा गया है उससे पता चलता है कि यह सिर्फ दबिश का रिएक्शन नहीं था बल्कि मामला उससे बड़ा था। योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि हमलावरों का हिसाब किताब किया जाएगा। शासन के इकबाल को सीधे तौर पर चुनौती दी गई है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।