- अब वंदे भारत से सफर करते समय नहीं लगेंगे झटके
- अगस्त से वंदे भारत एक्सप्रेस अत्याधुनिक तकनीक से होगी लैस
- 180 की स्पीड में दौड़ेगी वंदे भारत एक्सप्रेस
Vande Bharat Train: देश की राजधानी दिल्ली से वाराणसी वाया कानपुर चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के कोचों का जल्द ही कायाकल्प होने वाला है। सब कुछ ठीक रहा तो अगस्त में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के कोच आधुनिक तकनीक से लैस हो जाएंगे। आधुनिक तकनीक से लैस होने के बाद आकस्मिक ब्रेक लगाने पर यात्रियों को झटका नहीं लगेगा। साथ ही ब्रेक असेंबली भी जाम नहीं होगी। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की सीटें भी स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के जैसी आरामदायक यानी लचकदार बनेंगी। अभी वंदे भारत की सीटें बैठने पर स्टेट रहती हैं, ऐसे में यह सीटें आरामदायक नहीं है।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की अभी अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो नए वर्जन के कोचों के लगने पर बढ़कर 180 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगा। बता दें कि, वंदे भारत अभी अधिकतम गति से ही दिल्ली से वाराणसी तक नहीं चल पाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली रेलवे स्टेशन से इस ट्रेन को 15 फरवरी 2019 हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। ट्रेन ने तब से अब तक सात लाख से ज्यादा किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। अब इस ट्रेन के कोचों का कायाकल्प होगा। साथ ही ज्यादा सुविधाजनक बनाया जाएगा। अफसरों ने दावा किया है कि, वंदे भारत ट्रेन में नए कोच लगने पर इसकी अधिकतम गति भी 160 से बढ़कर 180 किलोमीटर की हो जाएगी।
प्रयागराज से वाराणसी के बीच और कम हो जाती वंदे भारत की स्पीड
राजधानी दिल्ली से कानपुर तक वंदे भारत एक्सप्रेस इस समय फुल स्पीड में नहीं चल रही। अभी तक 130 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है वहीं, प्रयागराज से वाराणसी के बीच वंदे भारत की स्पीड और कम हो जाती है। यहां से अधिकतम 110 किमी. की ही रह जाती है। हालांकि इसकी प्रमुख वजह ट्रैक हैं। प्रयागराज से वाराणसी के ट्रैक के उच्चीकरण का काम चल रहा है। उम्मीद है कि, साल के अंत तक यह ट्रेन भी फुल स्पीड से दौड़ेगी। करीब 45 मिनट का सफर कानपुर से दिल्ली के बीच का कम हो जाएगा।
12 साल बाद बदले थे शताब्दी के कोच
दिल्ली से लखनऊ वाया कानपुर होकर चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस साल 1989 में शुरू हुई थी। इस एक्सप्रेस ट्रेन का तब नाम शताब्दी एक्सप्रेस था। मई 2001 में ट्रेन में जर्मन कोच लगाए गए तो इस ट्रेन का नाम बदलकर स्वर्ण शताब्दी कर दिया। हालांकि रेलवे ने आधुनिक कोच लगते ही किराए में दस फीसदी की बढ़ोतरी कर दी।