- इस साल कृष्ण जन्माष्टमी लगातार दो दिन मनाई जा रही है।
- जन्माष्टमी के दिन दही हांडी उत्सव सेलिब्रेट किया जाता है।
- जानिए जन्माष्टमी के दिन क्यों फोड़ते हैं दही हांडी
कोरोना महामारी के बीच इस साल श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 11 और 12 अगस्त दोनों दिन मनाया जा रहा हैं। इस दिन देशभर में लोग श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। जन्माष्टमी को सद्भावना और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अपने घरों के साथ-साथ मंदिरों और कॉलोनियों को भी खूब सजाया जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, इन्हीं में से एक है दही हांडी। हालांकि इस साल कोरोना महामारी की वजह से दही हांडी का उत्सव सेलिब्रेट नहीं किया जा सकेगा। लेकिन क्या आपको पता है कि जन्माष्टमी के दिन दही हांडी क्यों फोड़ते हैं।
जन्माष्टमी के दिन दही हांडी उत्सव
जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान के जन्म की खुशियां मनाने के लिए दही हांडी का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव मुख्य रूप से गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन लड़कों का एक समूह एक मानव पिरामिड बनाता है और दही से भरे मिट्टी के बर्तन को तोड़ने का प्रयास करता हैं। बर्तन को जमीन से लगभग 30 फीट की ऊंचाई पर रखा जाता है।
जन्माष्टमी के दिन क्यों फोड़ते हैं दही हांडी
भगवान कृष्ण को दही और मक्खन बहुत पसंद है, वह इन सभी चीजों को चुराकर खाया करते थे। इसलिए गांव की महिलाएं दूध,दही और मक्खन की चीजों को किसी ऊंची जगह पर रखा करती थीं। लेकिन कृष्ण उन्हें चुराने की एक नई तरकीब निकालते और तब वह अपने दोस्तों के संग मिलकर मानव पिरामिड बनाते थे। इस तरह वह दही और मक्खन चुराया करते थे। इसके बाद से ही कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दही हांडी उत्सव मनाया जाने लगा। हांडी तोड़ने वाले लड़कों के समूह को मंडल कहा जाता है और वे हांडी को तोड़ने के लिए अलग-अलग इलाकों में जाते हैं।