कोरोना वायरस का कहर काफी तेज फैल गया है। स्थिति ये है कि कई जगह अस्पतालों में बेड्स की कमी हो गई है। पिछले साल जब देश में कोरोना वायरस के मामले आने शुरू हुए थे तब हर किसी को संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा था। लेकिन बाद में फैसला किया गया कि बिना लक्षण वाले मरीजों का घर पर ही इलाज किया जा सकता है। ऐसे में सिस्टम और लोगों को भी काफी राहत मिली। जिसमें महामारी के लक्षण नहीं है, लेकिन वो संक्रमित हैं और उनके घर में आइसोलेट होने की व्यवस्था है तो वो घर पर ही रहकर इस बीमारी से लड़ने लगे। हालांकि इस दौरान डॉक्टर्स उन पर नजर बनाए रखते हैं। उन्हें क्या-क्या सावधानी बरतनी हैं, क्या-क्या दवाएं लेनी हैं, इस संबंध में उन्हें अच्छे से बताया जाता है।
होम आइसोलेशन से अस्पताल कब शिफ्ट होना चाहिए?
ऐसे में एक सवाल उठता है कि किन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना चाहिए और किन मरीजों को घर में ही रहकर इस बीमारी का सामना करना चाहिए। 'आकाशवाणी समाचार' के अनुसार, दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल के डॉ. संजय पांडेय से सवाल किया गया कि अगर कोविड मरीज घर पर आइसोलेट है तो कैसे पता चलेगा कि उसे अस्पताल जाना है?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'अगर लगातार तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत, ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो, मरीज में बेचैनी, घबराहट, न्यरोलॉजिकल डिस्टरबेंस जैसे मेमोरी में डिस्टरबेंस, सिर में बहुत तेज दर्द, अचेतना की अवस्था इस तरह के लक्षण आएं तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है।'
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'अगर कोई भी व्यक्ति कोविड पॉजिटिव आता है तो मरीज से लगातार हेल्थ अधिकारी संपर्क में रहते हैं। वो देखते हैं कि घर में आइसोलेट हो सकते हैं या नहीं, उसकी स्थिति क्या है और अगर स्थिति अभी सामान्य है तो अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर स्थिति गंभीर है या कोमोरबिडिटी वालें है, बुजुर्ग हैं तो अस्पताल उस पर ध्यान देते हुए उसे एडमिट करेगा।'