- यूपी में सबसे अधिक शराब की दुकानें (700 प्रतिवर्ष मायावती के राज में खुलीं
- योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के शासन में प्रतिवर्ष औसतन 500 दुकानें खुलीं
- यूपी में शराब बिक्री से करीब 10 फीसद आता है राजस्व
2007 से लेकर 2021 तक यूपी में तीन सरकारों को देखा, 2007 से लेकर 2012 कर मायावती, 2012 से लेकर 2017 तक अखिलेश यादव और 2017 से योगी आदित्यनाथ का शासन है। यहां पर हम जिक्र करने जा रहे हैं कि इन तीनों शख्सियतों के शासन में लिकर यानी शराब ही दुकानें किसकी सरकार में ज्यादा खुली। इस संबंध में आरटीआई के जरिए जिस जानकारी का जवाब मिला उसके मुताबिक एक बात तो साफ है कि शराब से होने वाली कमाई लोभ कोई भी सरकार नहीं छोड़ सकी। यूपी के राजस्व में शराब से होने वाली कमाई अहम रही है।
यूपी में इस समय 27 हजार से अधिक शराब की दुकान
यूपी में 2011 की जनगणना के मुताबिक 20 करोड़ लोगों की रिहाइश है और शराब की 27 हजार से अधिक दुकानें हैं, अगर बात दिल्ली की करें तो 1.5 करोड़ आबादी पर करीह 850 दुकानें हैं। यूपी में कुल राजस्व का 10 फीसद हिस्सा उत्पाद शुल्क से आता है। 2020-21 वित्त वर्ष में करीब 30 हजार करोड़ की कमाई हुई। लेकिन दिलचस्प सवाल यह है कि आखिर शराब की दुकानों से मुहब्बत सबसे अधिक किस सरकार को थी।
मायावती राज में सबसे अधिक दुकानें खुलीं
अगर बात योगी आदित्यनाथ सरकार की करें तो पिछले चार वर्षों में 2.76 दुकानों को लाइसेंस मिला, और राजस्व में करीब 74 फीसद का उछाल था। इसके साथ ही अखिलेश यादव के शासन में 5 वर्ष में 2566 दुकानें खुलीं। इससे इतर बात मायावती की करें तो पांच वर्ष में 3621 दुकानें खुलीं। इसका अर्थ यह है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में औसतन 500, अखिलेश यादव के कार्यकाल में भी औसतन 500 और मायावती के शासनकाल में औसतन 700 दुकानें खुलीं। इसका अर्थ यह है कि शराब की दुकानों के संबंध मायावती ने बाजी मार ली।