- महादेव के मंदिर में भक्तों को सीडी और पुस्तके प्रसाद स्वरूप मिलती हैं
- जगन्नाथ मंदिर में 56 प्रकार के व्यंजन भगवान को भोग में चढ़ते हैं
- देवी के रज से गीला कपड़ा यहां भक्तों को चढ़ावे में मिलता है
हमारे देश में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं और इन मंदिरों में भगवान के लिए प्राचीन काल से एक तरह के ही भोग अर्पित किए जाते हैं। मंदिरों में मुख्यत: भगवान को हलवा, पूरी, खीर, मिठाई, नारियल, फल या बताशा-मिश्री का ही भोग लगता है, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां भगवान को बहुत ही अलग और अनोखे प्रकार का भोग लगता है। इन मंदिरों में जो प्रसाद भक्तों को मिलता है, उसके बारे में शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा। इन मंदिरों में जो प्रसाद मिलते हैं वह बहुत अलग हट के हैं। तो चलिए आपको इन खास मंदिरों के प्रसाद के बारे में बताएं।
भक्तों को इन मंदिरों में मिलते हैं बहुत अनूठे प्रसाद
महादेव मंदिर मझुवंचरी
भगवान शिव का एक मंदिर मझुवंचरी में है। महादेव मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर में भगवान के भक्तों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए नहीं बल्कि पढ़ने के लिए प्रसाद मिलते हैं। यहां प्रसाद में भक्तों को सूचनात्मक ब्रोशर, पाठ्य पुस्तकें, डीवीडी, सीडी और भगवान से जुड़ी पुस्तकें मिलती हैं। मंदिर ट्रस्ट के अनुसारये यहां भक्तों को ज्ञान का प्रसाद दिया जाता है और ये सबसे उत्तम प्रसाद है।
धानयुथापानी स्वामी मंदिर
पलानी हिल्स में स्थित भगवान मुरुगन मंदिर भी अपने अनोखे प्रसाद के लिए प्रसिद्ध है। यहां भक्तों को पांच फल के साथ गुड़ या मिश्री से बनी मिठाई दी जाती है। प्रत्येक भक्त को इतने ही प्रसाद दिए जाते हैं। साथ ही यहां पंचामृत भी दिया जाता है। भक्तों की संख्या को देखते हुए यह प्रसाद यहां स्वचालित मशीन के जरिये बांटा जाता है।
श्री कृष्ण मंदिर प्रसाद
तरुवनंतपुरम के अंबालापुझा के श्री कृष्ण मंदिर में भक्तों को बहुत ही स्वदिष्ट खीर प्रसाद में दी जाती है। दूध, चीनी और चावल से बनी ये खीर सुनने में बहुत सामान्य है, लेकिन जब ये प्रसाद स्वरूप भगवान को चढ़ने के बाद भक्तों को मिलती है तो इसके स्वाद की तुलना नहीं की जा सकती। इस खीर को पारंपरिक रसोइये खास तरह से तैयार करते हैं और पीढ़ियों दर पीढ़ियां ये खीर तैयार करती आ रही है।
अज़गर कोविल
मदुरै से 21 किलोमीटर दूर अजहर कोविल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भक्तों को बहुत ही स्वादिष्ट प्रसाद मिलता है। यहां भक्त भगवान को अनाज चढ़ाते हैं और उन्हें मंदिर में प्रसाद स्वरूप डोसा खाने को मिलता है।
कामाख्या देवी मंदिर
गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद स्वरूप खाने के लिए भक्तों को कुछ नहीं मिलता, हालांकि, यहां जो चढ़ावा मिलता है वह अनोखा जरूर है। यहां देवी मंदिर हर महीने के सातवें दिन यहां मेला लगता है और तब मेले के दौरान मंदिर तीन दिन के लिए बंद रहता है। चौथे दिन जब मंदिर खुलता है तो प्रसाद के तौर पर भक्त को एक गीला कपड़ा दिया जाता है। कहा जाता है कि ये कपड़ा मां के रज से भीगा होता है।
खबेस बाबा मंदिर
खबेस बाबा मंदिर यूपी के सीतापुर जिले में स्थित है। खबीस बाबा मंदिर में शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है। यहां प्रसाद के तौर पर वही शराब भक्तों में वितरित की जाती है।
करनी माता मंदिर प्रसाद
करनी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर में है। इस मंदिर को चूहों वाली माता के नाम से जाना जाता है। चूहे मंदिर और मंदिर परिसर के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। इस मंदिर में भक्तों को चूहों का जूठा प्रसाद दिया जाता है।
माता वैष्णो देवी प्रसाद
जम्मू के कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर भक्तों को भरवां चावल, चीनी के गोले, सेब के सूखे टुकड़े और प्रसाद के रूप में नारियल दिया जाता है। इस प्रसाद को डाक के जरिये भी पाया जा सकता है।
श्री वेंकटेश्वर मंदिर प्रसाद
तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर अपने लड्डू के प्रसाद के लिए प्रसिद्ध है। इसे टीपुताई लड्डू या श्री वारी लड्डू के नाम से जाना जाता है। अत्यंत श्रद्धा के साथ तैयार यह लड्डू अपने विशिष्ट स्वाद के लिए जाने जाते हैं। यहां तक की इस प्रसाद का भौगोलिक कॉपीराइट भी लिया गया है।
जगन्नाथ मंदिर प्रसाद
पुरी के जगन्नाथ मंदिर अपनी रथ यात्रा के लिए ही नहीं अपने प्रसाद के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिरों में देवताओं को महाप्रसाद का भोग लगता है जिसमें 56 प्रकार के व्यंजन होते हैं। देवताओं को अर्पित किए जाने के बाद यही प्रसाद भक्तों के लिए स्टॉल पर रखे जाते हैं।
मंदिरों में मिलने वाले इन प्रसाद का महत्व बहुत ज्यादा है और भक्त इस प्रसाद को पाने के बाद खुद को धन्य महसूस करते हैं।