- कार्यस्थल पर ज्यादा ईमानदारी बन सकती है सफलता में बाधा
- अपनी सफलता का राज दूसरे को बताना होगा नुकसानदायक
- कार्य शुरू करने के बाद कभी भी बाधाओं से डर कर पीछे न हटें
Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य नीति-शास्त्र के सबसे बड़े विद्वानों में से एक माने जाते हैं। इनके द्वारा रचित नीतिशास्त्र सदियों बाद भी लोगों को सफल जीवन जीने का रास्ता दिखा रही है। नीतिशास्त्र में घर-परिवार से लेकर कार्यस्थल तक पर सफलता प्राप्त करने के कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाने वाले व्यक्तिके रास्ते से रूकावटे अपने आप ही खत्म होने लगती है। आचार्य ने नीतिशास्त्र में कार्य क्षेत्र के अंदर सफलता प्राप्त करने के कई उपाय बताए हैं। इन्हें जीवन में अपनाकर कोई भी अपने जॉट और करियर को सफल बना सकता है।
बहुत ईमानदारी बनेगी मुसीबत
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, कार्य क्षेत्र के अंदर किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार बनना चाहिए। ऐसे लोगों पर सबसे पहले प्रहार होता है। इसलिए ऑफिस में कभी बहुत ज्यादा ईमानदार कभी न बनें। अगर आपको ऑफिस में कुछ गलत लग रहा है तो वहां अपने विचार रखें, लेकिन साथ ही अपने हित का भी ध्यान रखें।
नया कार्य शुरू करने से पहले उसे समझें
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कोई भी नए कार्य शुरू करने से पहले अपने आप से ही ये तीन सवाल जरूर पूछना चाहिए कि, मैं यह काम क्यों कर रहा हूं, इसका परिणाम क्या होगा और इसमें सफलता मिलने की क्या संभावना है। अगर व्यक्ति को इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएं, तभी किसी नए काम की शुरुआत करें।
कार्य को कभी बीच में न छोड़ें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर, व्यक्ति ने कोई कार्य शुरू कर दिया तो यह समझ ले कि, उस कार्य में बाधा जरूर आएगी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आने वाली बाधाओं से घबराकर उसे बीच में छोड़े दें । याद रखें, किसी काम को पूरा करने के बाद ही लोग उसे याद रखते हैं। इसके बिना पूरा कार्य व्यर्थ होता है।
सफलता के राज को राज ही रखें
चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति कोकभी भी अपनी सफलता का राज किसी दूसरे को नहीं बताना चाहिए, चाहे सामने वाला आपका परम मित्र ही क्यों न हो। अगर आप अपने सफलता का राज किसी और को बताते हैं तो वह भी उसी रास्ते से सफलता प्राप्त कर आपसे आगे निकल सकता है।
ध्यान रखें, सम्बन्ध में स्वार्थ छुपा होता है
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, व्यक्ति को यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हर संबंध के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छुपा होता है। यह केवल कार्यस्थल पर ही नहीं बल्कि हमारी व्यक्तिगत जिंदगी में भी होता है। हमारे सहकर्मी, मित्र और रिश्ते नाते सभी की बुनियाद किसी न किसी स्वार्थ पर टिकी होती है। इसलिए अपने मित्रों का चयन ध्यान पूर्वक करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)