- पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का सावन में मिलता है विशेष लाभ
- पंचमुखी हनुमान की पूजा से पांच कष्टों से मिलती है मुक्ति
- पंचमुखी हनुमान की पूजा दक्षिण की दिशा में मुख करके करें
मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष दिन होता है और सावन मास में शिवजी की पूजा के साथ बजरंगबली की पूजा का भी अपना विशेष महत्व होता है, क्योंकि हनुमान जी शंकर जी का ही अंश माने गए हैं। यदि आपकी हर ओर से आस टूट रही तो आपको पंचमुखी हनुमान की पूजा जरूर करनी चाहिए। सावन में पंचमुखी हनुमान जी की पूजा से बहुत ही चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा से जीवन की पांच समस्याएं ऐसे दूर होती हैं, जिसकी आस भी मनुष्य छोड़ चुका होता है। इसलिए सावन में मंगलवार के दिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा जरूर करें। प्रभु श्रीराम की मदद के लिए भी हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार धारण किया था।
जानें पंचमुखी हनुमान जी की विशेषता
पंच अवतार होने के कारण हनुमान जी को पंचमुखी कहा गया है। वानर, गरूड़, वराह, अश्व और नृसिंह मुख वाले हनुमान जी के हर मुख की पूजा से मनुष्य को अनंत लाभ मिलते हैं। वानर मुख दुश्मनों का पतन करने के लिए, गरुड़ मुख हर संकटों को दूर करने के लिए, वराह मुख दीर्घायु, अपार शक्ति और प्रसिद्धि के लिए, नृसिंह मुख से तनाव एवं भय के नाश के लिए और अश्व मुख सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने के लिए माना गया है। यदि आपके जीवन में समस्याओं ने आपको घेर लिया है तो आपको पंचमुंखी हनुमान जी की शरण में जरूर जाना चाहिए। सावन मास में उनकी पूजा का लाभ तुरंत मिलता है।
जानें,पंचमुखी हनुमान की पूजा का महत्व
मंगलवार के दिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से मनुष्य को उन संकट से मुक्ति मिलती हैं, जिससे छुटकारे की आस भी छूट चुकी होती है। शत्रुओं का भय, आर्थिक तंगी, बीमारी आदि से मुक्ति के साथ मनुष्य को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
पंचमुखी हनुमान की पूजा विधि
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा के लिए दक्षिण की दिशा में मुख करके बैठ जाएं। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को आसन दे कर चौकी पर विराजमान करें। इसके बाद जल तथा पंचामृत से उनका अभिषेक करें। लाल पुष्प या लाल गुलाब, चमेली के तेल में मिला सिंदूर लगाएं, चमेली का तेल, अक्षत्, धूप, गंध, दीप आदि अर्पित कर चने और गुड़ का भोग लगाएं। पूजा के बाद वहीं बैठ कर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। इसके बाद पंचमुखी हनुमान की आरती करें और अपने कष्ट या मनोकामना उसके समक्ष कहें।