परंपराएं और रीति-रिवाज जगह-जगह के अलग होते हैं। देश में ही कई जगह ऐसे रीति रिवाज हैं जिन्हें बहुत कम लोग जातने हैं। एक रिवाज उत्तराखंड का भी ऐसा है जो बहुत ही आश्चर्य भरा लगता है। वह यह कि, दंपति को अगर पुत्र नहीं हो तो देवी मां के मंदिर में चोरी करनी होती है।
जी हां उत्तराखंड के रुड़की के पास माता चूड़ामणि देवी का मंदिर है। मान्यता है कि जिनको पुत्र की प्राप्ति नहीं होती वे यहां आते हैं और मां के मंदिर से एक विशेष चीज चोरी कर ले जाते है और जब उन्हें पुत्र की प्राप्ति हो जाती है तो वह उस चीज को वापस मंदिर में रख जाते हैं और भंडारा भी कराते हैं। तो आइए आज इस मंदिर की पुत्र रत्न पाने की परंपरा के बारे में जानें।
लोकड़ा चुराने की है परंपरा
उत्तराखंड के रुड़की से 19 किलोमीटर दूर भगवानपुर के चुडिय़ाला गांव में स्थित चूड़ामणि देवी का मंदिर है। ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहा माता के चरण में हमेशा लोकड़ा रहता है और इसी लोकड़ा को चुरा कर दंपति ले जाते हैं। इसे चोरी करने के बाद ही उन्हें पुत्र रत्न का वरदान माता देती हैं और जब पुत्र हो जाता है तो दंपति पुत्र के साथ वह लोकड़ा लेकर आते हैं और इसके साथ एक और लोकड़ा ले आते हैं। इसे माता के चरणों में वापस रख दिया जाता है। उसके बाद दंपति माता के आर्शीवाद से पाए पुत्र के हाथों भंडारा करवाते हैं।
जानिए क्या है ये लोकड़ा
लोकड़ा एक प्रकार का लकड़ी का खिलौना होता है जो पुत्र का प्रतीक होता है। माता चूड़ामणि के चरणों में ये लोकड़ा रखा रहता है। जिस दंपति को पुत्र चाहिए होता है वह इसे चुरा कर ले जाते हैं और पुत्र होने के के बाद अषाढ़ माह (जून-जुलाई) में अपने पुत्र के साथ मां के मंदिर आते हैं और यहां फिर मां की पूजा अर्चना के बाद एक और लोकड़ा चढ़ाते हैं।
राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने मां चूड़ामणि मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर निर्माण के पीछे कहानी है कि एक बार राजा जंगल में सैर कर रहे थे तभी उन्हें माता की पिंडी का दर्शन हुआ। मां की पिंडी देखकर राजा ने अपने लिए मां से पुत्र की मांग की क्योंकि राजा का कोई भी पुत्र नहीं था। मां ने उन्हें पुत्र रत्न दिया। राजा ने मां के आर्शीवाद से पुत्र पाने के बाद यहां मंदिर का निर्माण कराया और तभी से लोकड़ा चुराने की परंपरा शुरू हो गई।
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