Anuradha Paudwal lakshmi bhagwaan popular bhajan: शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का दिन होता है। इनका जन्म समुद्र में माना गया है। माता अगर प्रसन्न हो तो जातक को जीवन के हर सुख मिलते हैं। कभी उसे दूसरे के सामने हाथ फैलाने के जरूरत नहीं होती बल्कि वह खुद धर बांटने वाला बनता है लेकिन अगर मां रुष्ट हो जाएं तो इंसान खाने को भी मोहताज हो जाता है। घोर दरिद्रता की स्थित का सामना जातक को करना पड़ा है अगर मां लक्ष्मी मुंह मोड़ लें तो।
यही कारण है शुक्र ग्रह मां से संबंधित माना जाता है। शुक्र ग्रह नाम,यश, धन,वैभव और सम्मान का सूचक होता है। शुक्र ग्रह को मजबूत बनाने के लिए भी माता की पूजा जरूरी होती है। मां की पूजा से दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है। इसलिए माता की पूजा लाल रंग के फूल से करने के साथ उनकी आरती करें और पूजा के साथ पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ भजन करें। आइए आज अनुराधा पौडवाल के सोने का छत्र चढ़ाऊ भजन सुनते हैं। माता के भजन सुनने से पहले उनकी आरती जरूर कर लें। आरती के बाद शीतलीकरण के लिए जल छोड़ें और स्वयं आरती भी जरूर लें।
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घर में शाम के समय लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर तथा चावल रखकर मां की प्रतिमा रख दें। मां के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर छिड़कें। गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला भी माता को अर्पित कर दें। मां लक्ष्मी की पूजा के साथ सभी भगवान के चरणों में फूल अर्पित कर जल दें। घर में दीप जलाएं और लोहबान का धूप दें।
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