लोगों को लगता है कि चांदी शुद्ध होती है और इससे भगवान को अचमन या जल दिया जा सकता है, लेकिन आपको जान कर यह आश्चर्य होगा कि चांदी को पूजा में प्रयोग करने वाले धातु की श्रेणी में नहीं रखा गया है। हालांकि एक जगह यह अपवाद स्वरूप चांदी का प्रयोग किया जाता है लेकिन हर जगह नहीं। यही नहीं कुछ धातु जहां पूजा में पूरी तरह से वर्जित हैं वहीं कुछ धातु देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से प्रयोग किए जाने की सलाह दी जाती है।
पूजा में धातुओं का प्रयोग बहुत मायने रखता है। इसलिए आज यहां आपको किसकी पूजा में कौन सा धातु प्रयोग करें और किस धातु का प्रयोग न करें यह बताते हैं। इससे पहले यह जान लें कि कुछ धातु केवल कुछ खास भगवान की पूजा में ही प्रयोग होते हैं और उसके अलावा उनका प्रयोग पूजा में पूर्णत: वर्जित है।
जानें पूजन कार्य में चांदी के बर्तनो का उपयोग सही या गलत
चांदी शुद्ध लेकिन पूजा के लिए नहीं
यह बात सही है कि चांदी बहुत ही शुद्ध और स्वच्छ मानी जाती है लेकिन पूजा के लिए नहीं। चांदी में खाना खाना या चांदी में रखा समान बहुत ही उच्च माना जाता है। ये स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर है लेकिन पूजा में इसका प्रयोग नहीं होता। चांदी पितरों के लिए प्रिय होती है। इसलिए इसे भगवान की पूजा में प्रयोग नहीं करते। लेकिन अपवाद स्वरूप केवल चंद्रमा की पूजा में चादी को श्रेष्ठकर माना गया है।
तांबा मंगलस्वरूप और पूजा के लिए होता है पवित्र
तांबे को सभी धातुओं में सबसे शुद्ध माना गया है। अगर आपके पास कोई अन्य धातु का पात्र नहीं तो आप तांबे से बने पात्र का प्रयोग कर सकते हैं। तांबे से आप सभी भगवान को जल अर्पित कर सकते हैं। केवल शनि भगवान को कभी भी तांबे के पात्र से जल न दें। ऐसा कर के आप उन्हें कुपित कर सकते हैं। तांबे के चम्मच, प्लेट और लोटे का प्रयोग पूजा में करना श्रेष्ठकर होता है। माना जाता है कि तांबे से शुद्ध और कोई धातु है तो वह सोना है। इसलिए सोने की जगह तांबे का प्रयोग करें। सूर्य को तांबे के पात्र में जल देना जितना श्रेष्ठकर होता है उतना ही अनिष्टकारी शनि की पूजा में होता है। इसके पीछे यही माना जाता है कि सूर्य और शनि एक दूसरे के शत्रु माने गए हैं।
लोहे से बस इनकी होती है पूजा
लोहा वैसे तो पूजा के लिए बिलकुल सही धातु नहीं माना गया है, लेकिन अपवाद स्वरूप लोहा केवल शनि भगवान की पूजा में प्रयोग होता है। शनि भगवान की पूजा में अगर लोहे का प्रयोग किया जाए तो वह बहुत ही शुभकारी और फलदायी मानी जाती है।
भूल कर भी न करें इन धातु का प्रयोग
भगवान की पूजा में कभी स्टील, एल्युमीनियम, जस्ता जैसे धातुओं का प्रयोग न करें। क्योंकि ये न तो शुद्ध मानी जाती हैं न तो किसी भगवान कि विशेष पूजा में प्रयोग के लिए निमित्त हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाएं।
धातुओं के बने पात्र पूजा-पाठ के लिए शास्त्रों में भी निमित्त है। इसलिए भगवान की पूजा करते समय यह ध्यान जरूर रखें की उनकी पूजा उनके पसंद की धातु से ही किया जाएं।
धर्म व अन्य विषयों की Hindi News के लिए आएं Times Now Hindi पर। हर अपडेट के लिए जुड़ें हमारे FACEBOOK पेज के साथ।