- सूर्य को पिता का कारक माना गया है
- नवग्रहों में सूर्य को सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है
- कुंडली में सूर्य कमजोर है तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें
Hindu devotional hymn : ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है, साथ ही सूर्यदेव को सनातन धर्म में पूजा जाता है। सूर्य ऊर्जा का केंद्र है। नवग्रहों में सूर्य को सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना गया है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि अगर मनुष्य सूर्य की उपासना करता है तो वह सूर्य के समान तेज यश प्राप्त करता है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो उसको मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम बताया गया है। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से किया जाए तो मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस पाठ को करने से लाभ प्राप्त होते हैं और जीवन की अनचाही समस्याओं से निजात मिलती है।
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आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से होते हैं ये लाभ
- यदि कोई सरकारी विवाद चल रहा हो तो भी आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है, प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है।
- सूर्य को पिता का कारक माना गया है। आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करने से पिता पुत्र के संबंध अच्छे होते हैं। अगर आपका आपके पिता के साथ मतभेद हो गया है तो आप इसका नियमित पाठ करें।
- अगर आप हड्डी या आंख के रोग से पीड़ित हैं तो भी आप इसका पाठ कर सकते हैं।
- प्रशासनिक सेवाओं में जाने के लिए जो लोग तैयारी करते हैं, उन्हें भी इसका पाठ करना चाहिए। इससे उनकी सफलता सुनिश्चित हो जाती है।
इन लोगों को इस पाठ जरूर करना चाहिए
- धनु राशि वालों को भाग्य के लिए इसका पाठ जरूर करना चाहिए।
- जिनकी कुंडली में सूर्य दूसरे, तीसरे, चौथे, छठे, सातवें, आठवें या बारहवें हो उनको भी इसका पाठ शुभ फल देता है।
- मेष राशि वालों को शिक्षा के लिए इस पाठ को करना चाहिए।
- सिंह राशि वालों को स्वास्थ्य के लिए इस पाठ को जरूर करना चाहिए।
- मिथुन, तुला और कुंभ राशि वालों को वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य के लिए इसका पाठ करना चाहिए।
- कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों को उच्च पद प्राप्ति के लिए इसका पाठ करना चाहिए।
- वृषभ राशि वालों को संपत्ति के लिए, कन्या राशि के लोगों को नौकरी के लिए और मकर राशि वालों को आयु के लिए इसका पाठ करना चाहिए इससे आपको अप्रत्याशित लाभ मिलेंगे।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय
- सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए तांबे के पात्र में गुलाब के फूल रखकर उन्हें जल अर्पित करें। साथ ही सूर्य देव को रोली अर्पित करें और हाथ जोड़कर सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए 3 परिक्रमा करें। जो जल आप सूर्यदेव को अर्पित करें इस बात का विशेष ध्यान दें कि जल अर्पित करते समय उसके छीटें आपके पैरों पर ना आये।
- अगर आप सूर्य भगवान की कृपा पाना चाहते हैं तो प्रत्येक रविवार के दिन नदी के बहते पानी में चावल और गुड़ प्रवाहित करें।
- नदी में तांबे का सिक्का बहाने से भी सूर्य देव की कृपा आप पर सदा बनी रहती है।
- किसी भी शिवालय में तांबे के बर्तन दान करना आपके लिए लाभदायक है।
- तांबे के पात्र में जल भरकर पीने से भी आपको लाभ मिलेगा साथ ही लाल वस्त्र उपयोग में लाना भी आपके लिए लाभदायक होगा।
- सूर्य के इस मंत्र की माला का नित्य 108 बार जाप जरूर करें। मंत्र इस प्रकार है। ॐ घृणी सूर्याय नमः व ॐ आदित्याय नमः।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)