मां चिंतपूर्णी देवी का मंदिर देश के कई राज्यों में हैं। हिमाचल में भी माता का मंदिर है। हालांकि होशियारपुर से कुछ दूर भरवई में स्थित माता के मंदिर को देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है। मान्यता है कि यहां देवी सती के चरण गिरे थे। कहते हैं यहां आने वाले के हर दुख-दर्द और संकट को मां हर लेते हैं। लेकिन अगर आप यहां तक नहीं पहुंच पाते तो माता का मन में स्मरण करते हुए उनकी पूजा करें और मां की आरती जरूर करें। मां की आरती में चिंताहरने की अद्भुद शक्ति मौजूद है।
माता त्रिदेव के प्रकाश से प्रकट हुई हैं इसलिए माना जाता है कि इन्हें पूजने वाले को त्रिदेव को पूजने का लाभ मिलता है। मां के स्वरूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसलिए मां की पूजा हमेशा करनी चाहिए। वैसे माता का दिन बुधवार को होता है क्योंकि मां भी शक्तिस्वरूपा ही हैं।
माता का एक मंदिर हिमाचल में भी हैं और ये प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है|मान्यता है कि देवताओं के ऊपर असुरों ने काफी अत्याचार किया तो उसके निवारण के लिए देवता भगवान विष्णु के पास गये। भगवान विष्णु ने उन्हें मां चिंतापूर्ण देवी की आराधना करने को कहा। मां चिंतापूर्ण देवी का उद्भव त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंदर से निकले एक दिव्य प्रकाश से हुआ है। इसलिए मां की पूजा करना संसार के हर संकट से मुक्त करता है। इसलिए बुधवार के दिन मां की आरती पूरी तन्मयता के साथ जरूर करें। मां की पूजा के बाद हर बुधवार को मां की आरती करना आपकी सारी चिंताओं और भय को खत्म कर देगा।
श्री चिन्तपूर्णी देवी जी की आरती इस प्रकार है:
चिन्तपूर्णी चिन्ता दूर करनी,
जन को तारो भोली माँ |
काली दा पुत्र पवन दा घोडा,
सिंह पर भई असवार, भोली माँ || १ ||
एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा,
तीजे त्रिशूलसम्भालो, भोली माँ || २ ||
चौथे हथ चक्कर गदा पांचवे,
छठे मुण्डों दी माल भोली माँ || ३ ||
सातवें से रुण्ड-मुण्ड बिदारे,
आठवें से असुर संहारे, भोली माँ || ४ ||
चम्पे का बाग लगा अति सुन्दर,
बैठी दीवान लगाय, भोली माँ || ५ ||
हरि हर ब्रह्मा तेरे भवन विराजे,
लाल चंदोया बैठी तान, भोली माँ || ६ ||
औखी घाटी विकटा पैंडा,
तले बहे दरिया, भोली माँ || ७ ||
सुमर चरन ध्यानू जस गावे,
भक्तां दी पज निभाओ, भोली माँ || ८ ||
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