- शिक्षक के प्रति आजीवन रहना चाहिए हर मनुष्य को कृतज्ञ
- जन्म देने या पालने वाली माता के प्रति रहे हमेशा कृतज्ञ
- सास-ससुर का जीवन में हमेशा करें सम्मान
चाणक्य की नीतियों और अनुभव ने ही चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। इतना ही नहीं एक बालक में उन्होंने राजा बनने के सारे गुण देख लिए थे। नंद वंश को नष्ट करना आसान नहीं था, क्योंकि अमात्यराक्षस जैसा कूटनीतिज्ञ और सलाहकार इनका संरक्षण कर रहा था, लेकिन आचार्य चाणक्य की नीतियों और सोच के आगे वह भी नहीं चल सका। इसलिए चाणक्य की नीतियों से सीख लेकर जो भी जीवन मे चलता है वह एक ऊंचाई को प्राप्त करता है। आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को जीवन में कई चीजों से जहां दूर रहने की सलाह दी है, वहीं कुछ लोगों का सम्मान करने की भी सीख दी है। चाणक्य ने हर मनुष्य को अपने जीवन में पांच लोगों के प्रति सदा कृतज्ञ होने की सीख दी है। तो आइए आपको बताएं ये पांच लोग कौन हैं।
1. शिक्षक : चाणक्य ने कहा है कि जो इंसान अपने शिक्षक का सम्मान नहीं करता है वह कभी भी उच्चासीन पदों पर नहीं जा सकता। शिक्षक एक इंसान के जीवन का वो मार्गदर्शक होता है, जिसके जरिये ही इंसान अपने भले या बुरे का ज्ञान कर पाता है। बिना शिक्षा के जीवन जानवर समान होता है। इसलिए शिक्षक का सम्मान करना हर मनुष्य के लिए जरूरी है और उसके प्रति आजीवन कृतज्ञ रहना चाहिए।
2. माता : जो इंसान अपने जन्म देने या पालने वाली माता के प्रति कृतज्ञ न हो वह इंसान मनुष्य कहलाने के काबिल नहीं होता। जन्म देने या पालने वाली माता का स्थान कोई नहीं ले सकता और जिस इंसान को यह समझ न हो वह इंसान कभी किसी का भला नहीं कर सकता। ऐसे मनुष्य स्वार्थ को लबरेज होते हैं।
3. पिता : पिता के प्रति कृतज्ञ रहना हर मनुष्य का धर्म ही नहीं उसका कर्म भी है क्योंकि पिता ही वह इंसान होता है जो अपने बच्चे को दुनिया में लाने के बाद उसकी जिम्मेदारी को उठाने का निर्णय लेता है। और जो व्यक्ति अपने पिता के प्रति कृतज्ञ न हो वह किसी के प्रति सम्मान या कृतज्ञ नहीं हो सकता। ऐसा व्यक्ति विश्वास योग्य नहीं होता।
4. पत्नी : पत्नी के प्रति कृतज्ञ होना एक पति का कर्तव्य होता है। पत्नी अपना सब कुछ छोड़ कर उसके साथ आती है और उसके और उसके परिवार के लिए अपना जीवन समर्पित करती है। ऐसे पत्नी के प्रति यदि सम्मान या प्यार मनुष्य के अंदर न हो तो ऐसा मनुष्य घोर अहंकारी और स्वार्थी कहलाता है।
5. सास-ससुर : माता-पिता अपनी कन्या का विवाह हमेशा एक अच्छा घर और वर से करते हैं, ताकि उनकी कन्या अपने मायके की तरह ससुराल में रहे और मायके की तरह ससुरालीजनों को अपनाएं। अपनी कन्या को दूसरे घर भेजने वाले माता-पिता यानी सास-ससुर के प्रति कृतज्ञ होना इसलिए भी जरूरी है।
इसलिए यदि आप अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो इन पांच लोगों के प्रति हमेशा कृतज्ञता के साथ पेश आएं।