- रावण को किसने दी थी सोने की लंका?
- इस एक श्राप की वजह से हुई थी जलकर राख
- 05 अक्टूबर को मनाया जाएगा दशहरा
Dussehra 2022 Ravana Ki Lanka: इस साल दशहरा 05 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद का पुतला दहन करने की परंपरा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रावण बहुत ही विद्वान, पराक्रमी और मायावी था। रावण के पास सोने की एक लंका थी, जिस पर उसे बहुत अभिमान था। क्या आप जानते हैं रावण के पास सोने की ये लंका कहां से आई थी और किसके श्राप के चलते ये जलकर राख हो गई थी? आइए आज आपको इसकी दिलचस्प कहानी बताते हैं।
कैसे बनी थी सोने की लंका?
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव माता पार्वती को लेकर वैकुण्ठ की ओर निकल पड़े। यहां की खूबसूरती को देख माता पार्वती मंत्रमुग्ध हो उठीं और उन्होंने भगवान शिव से ऐसी ही कोई खूबसूरत जगह या महल बनाने की जिद की। शिवजी मान गए और उन्होंने कुबेर महाराज और विश्वकर्मा जी से कहकर सोने का एक महल बनवा दिया। सोने का ये महल पार्वती जी को बहुत प्रिय था।
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रावण ने कैसे हथियाई सोने की लंका?
एक बार रावण सोने के आलीशान महल के पास से गुजर रहा था। तभी उसकी नजर इस महल पर पड़ गई। रावण के मन में लालच आ गया और उसने गरीब ब्राह्मण का रूप लेकर शिवजी से महल दान में मांग लिया। भगवान शिव, रावण को पहचान गए थे। इसके बावजूद वो रावण को अपने द्वार से खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहते थे। और इस तरह रावण को सोने का महल मिल गया।
किसने दिया था सोने की लंका जल जाने का श्राप?
रावण को सोने की लंका दान में देने की बात जब माता पार्वती को पता चली तो वो बहुत क्रोधित हुईं। पार्वती जानती थीं कि शिवजी अब रावण से महल वापस नहीं लेंगे। इसलिए उन्होंने क्रोध में आकर लंका भस्म हो जाने का श्राप दे दिया था। लंका श्रापित हो चुकी थी, इसीलिए आगे चलकर हनुमान जी ने अपनी पूछ से पूरी लंका में आग लगा दी थी।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)