गुरुवार को गुरु की पूजा की जाए और उनके भजन गाए जाएं तो इंसान को जीवन में हर संकट का सामना करने का बल मिलता है। गुरु जीवन को एक दिशा देते हैं और उनके बताए राह पर चल कर इंसान उस मुकाम तक पहुंचता हैं, जहां वह चाहता है। ऐसे में उस गुरु की पूजा करना बहुत जरूरी है। कहा भी गया है कि गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। ऐसे में गुरु की महिमा को कभी नकारा नहीं जा सकता क्योंकि गुरु ही सारे ज्ञान से अवगत कराता है। गुरुवार के दिन गुरु की पूजा का खास तौर पर की जाती है। हालांकि हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा करने की परंपरा है। गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा होती है, लेकिन केवल इसी दिन गुरु पूजनीय हो यह सही नहीं। गुरुवार को गुरु की पूजा और भजन जरूर करना चाहिए। तो आइए आज गुरुवार के दिन गुरु के भजन कर उन्हें याद कर उनकी आराधना करें।
गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। गुरु का स्थान संसार में सर्वोच्च है। गुरू को नमन। गुरु पूजन के लिए सुबह नहा- धो कर पीले वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद पूर्व दिशा में मुंह कर बैठें और गुरु की फोटो पर चंदन का तिलक लगा कर उन्हें नमन करें। धूप-दीप दिखाने के बाद गुरु के भजन करें।
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सर्व प्रथम यह पाठ करें फिर भजन शुरू करें
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णू
गुरुः देवो महेश्वरा
गुरु शाक्षात परब्रम्हा
तस्मै श्री गुरुवे नमः
1- गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना
गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना अब तक तो निभाया है
आगे भी निभा लेना गुरुदेव मेरी नईया उस पार लगा देना।।
तुम देव मैं पुजारी तुम इष्ट मैं उपासक
ये बात अगर सच है सच कर के दिखा देना
गुरुदेव मेरी नईया उस पार लगा देना।।
दल बल के साथ माया घेरे जो मुझे आकर
तुम देखते ना रहना गर आ के बचा लेना
गुरुदेव मेरी नईया उस पार लगा देना।।
मैं मोह झंझटो में तुमको ना भूल जाऊँ
हे नाथ दया करना मुझको ना भुला देना
गुरुदेव मेरी नईया उस पार लगा देना।।
गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा लेना
गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना।।
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2 - मैं मछली तुम नीर
मैं मछली तुम नीर
सतगुरु मैं मछलि तुम नीर
ज्ञान की मूरत आप
हमारे लिए भगवान की सूरत आप
सफलता की राह का मार्ग आप
सब के जीवन की जरूरत आप
नमो नमो जय श्री वृन्दावन
रस बरसत घनघोरी
नमो नमो जय कुञ्ज महल नित
नमो नमो प्रीतम चित चोरी
नमो नमो जय श्री हरिदासी
नमो नमो इन्ही की जोरी
मैं मछलि तुम नीर
सतगुरु मैं मछलि तुम नीर
गुरुवर मैं मछली तुम नीर
मै मछली तुम नीर
सतगुरु मैं मछली तुम नीर
मै मछली तुम नीर
श्री गुरु प्राण संजीवन मेरे
इन बिन नहीं शरीर
गुरुवर मैं मछलि तुम नीर
सतगुरु मैं मछली तुम नीर
मै मछली तुम नीर
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे
कर दो कृपा गुरुदेव
प्याला प्रभु के प्रेम का गुरु ने दिया प्याला
पीकर के मस्ती चढ़ी आनंद उरर समाये
गुरु ही पिलावे प्रेम का प्याला
गुरु ही पिलावे प्रेम का प्याला
बदल जाए तक़दीर
गुरुवर मैं मछलि तुम नीर
सतगुरु मैं मछली तुम नीर
मै मछली तुम नीर
कर दो कृपा गुरुदेव मेरे
कर दो कृपा गुरुदेव।
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