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Ganesh Chaturthi 2022: केदारनाथ के पास है गणेशजी का ये रहस्यमयी मंदिर, गणपति के बिना सिर की मूर्ति की होती है पूजा

Updated Aug 29, 2022 | 06:34 IST

Mundkatiya Temple Uttarakhand: गणेश चतुर्थी का त्योहार इस साल 31 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा। उत्तराखंड स्थित मुंडकटिया मंदिर में गणेश जी के कटे सिर की मूर्ति की पूजा होती है। जानिए इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में...

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Mundkatiya Temple
मुख्य बातें
  • गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जा रहा है।
  • उत्तराखंड में स्थित मुंडकटिया मंदिर में भगवान गणेश की पूजा होती है।
  • मंदिर में भगवान गणेश की बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा होती है।

Ganesh Chaturthi 2022 Mundkatiya Temple Uttarakhand: देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु अपने घर पर गणपति की मूर्तियां स्थापित करते हैं। देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मुंडकटिया मंदिर में भी हर साल देश-विदेश से भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। केदार घाटी की गोद में स्थित इस मंदिर देश का इकलौता मंदिर है, जहां पर भगवान गणेश की बिना सिर की मूर्ति की पूजा होती है। 

मुंडकटिया नाम दो शब्दों से मिलकर बना है। पहली मुंड यानी सिर और कटिया यानी विच्छेदित। मुंडकटिया मंदिर गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। ये सोनप्रयाग से लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेशजी का सिर काट दिया था। दरअसल माता पार्वती गौरी कुंड में स्नान कर रही थीं। उन्होंने हल्दी के लेप से एक मानव शरीर बनाया और उसमें प्राण फूंक दिया। इसके बाद माता पार्वती ने उसे अपने बेटे के रूप में स्वीकार कर लिया। माता ने अपने बेटे को आदेश दिया कि किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दिया जाए।

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त्रियुगी नारायण मंदिर के है निकट
गणेशजी ने अपनी माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को कमरे में प्रवेश  नहीं करने दिया। इस पर क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने पुत्र का सिर काट दिया। भगवान शिव को इस बात की जानकारी नहीं थी कि गणेशजी उनके पिता हैं।  इसके बाद इसी स्थान पर भगवान शिव ने हाथी का सिर गणेशजी के धड़ पर लगा दिया था। मंदिर त्रियुगी नारायण मंदिर के काफी ज्यादा निकट है। इस मंदिर में जाने के लिए आपको सोनप्रयाग से पैदल चलकर जाना होगा। या फिर स्थानीय टैक्सी से भी जा सकते हैं। 

आप यदि रेल से यात्रा कर रहे हैं तो ये मंदिर देहरादून रेलवे स्टेशन से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा देहरादून से नियमित तौर पर गढ़वाल मंडल विकास निगम की बस चलती हैं। 

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