- भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाया जाता है
- भगवान की मिट्टी की प्रतिमा ही घर पर स्थापित करें
- पीले रंग की प्रतिमा को घर में स्थापित करना शुभ होगा
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी यानी शनिवार 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी पूजा होगी। कोरोना संक्रमण के कारण अब सामूहिक रूप से गणपति उत्सव तो नहीं होगा, लेकिन घर-घर गणपति जी जरूर विराजे जाएंगे। गणपति उत्सव एक दिन से लेकर तीन, पांच या दस दिन तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी की प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में स्थापित किया जाता है। यदि आप भी घर पर गणपति जी ला रहे हैं तो आपको यह जान लेना चाहिए कि भगवान की कैसी प्रतिमा स्थापित करना सबसे ज्यादा शुभदायी होगी। साथ ही किस रंग की प्रतिमा की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ होगा।
घर में हमेशा मिट्टी की प्रतिमा ही लाएं
भगवान को घर में यदि आप स्थापित कर रहे तो दो बातों का खास ध्यान दें। पहला की गणपति की प्रतिमा हमेशा मिट्टी की बनी हो और प्रतिमा का आकार-प्रकार छोटा हो। इससे भगवान का विसर्जन करना आसान होगा और आप अपने घर में ही उनका विसर्जन भी कर सकेंगे।
इसी दिन हुआ था गणपतिजी का प्राकट्य
गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिन मनाया जाता है। 1 सितंबर को गणपति जी का विसर्जन किया जाएगा। 22 अगस्त को यानी भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन ही गणेश जी का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन से दस दिन तक उनका जन्मोत्सव को मनाया जाता है।
विभिन्न रंग की प्रतिमा की पूजा का जानें महत्व
- यदि आप घर पर गणपति जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे तो कोशिश करें कि पीले रंग वाली प्रतिमा ही लाएं। पीले रंग की प्रतिमा की पूजा करना सबसे ज्यादा शुभदायी माना गया है। सुख-सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति इसी प्रतिमा की पूजा से होगी।
- वहीं नीले रंग के गणेश जी "उच्छिष्ट गणपति" कहलाती है और इनकी पूजा से शत्रुओं नाश करती है।
- हल्दी लेप से बनी गणपति जी की प्रतिमा "हरिद्रा गणपति" कहलाती है और किसी कार्य की सफलता या तरक्की के लिए इनकी पूजा करनी चाहिए।
- सफेद रंग के गणपति को ऋणमोचन गणपति कहते हैं और इनकी आराधाना से कर्ज मुक्ति होती है।
- वहीं चार भुजाओं वाले रक्त-वर्ण के गणपति को "संकष्टहरण गणपति" कहते हैं और इनकी उपासना हर संकट से बचाती है।
- रक्तवर्ण के त्रिनेत्रधारी और दस भुजाधारी गणपति जी "महागणपति" कहलाते हैं और इनकी पूजा से सर्वकार्य सिद्धी का आशीर्वाद मिलता है।
कैसें करें भगवान गणेश की उपासना
गणेश जी की प्रतिमा जिस दिन घर में स्थापित करें सर्वप्रथम उन्हें दूब और मोदक जरूर अर्पित करें। इसके बाद पीले वस्त्र और सिन्दूर अर्पित करें। फिर पीले फूलों की माला चढाएं और घी का अखंड दीपक प्रज्ज्वलित करें और साथ में फल और मिठाईयों का भोग भी लगाएं।