- मोदक के बिना अधूरा है गणेश जी का भोग
- भगवान गणेश की पूजा जरूर चढ़ाएं मोदक
- भगवान गणेश के प्रिय मोदक से जुड़ी है कई कथाएं
Ganeshotsav 2022 Modak Katha: दस दिवसीय गणेशोत्सव की शुरुआत बुधवार 31 अगस्त 2022 से शुरू हो चुकी है। गणेश उत्सव की धूम देशभर में देखने को मिल रही है। इस दौरान भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और बप्पा को उनके प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश को मोदक खूब पसंद है। गणेश जी को आप छप्पन भोग का प्रसाद क्यों न अर्पित करें लेकिन जब तक उन्हें मोदक का भोग नहीं लगाया जाता तो भगवान प्रसन्न नहीं होते और पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए गणेश जी की पूजा में मोदक जरूर अर्पित किए जाते हैं।
आखिर बप्पा को क्यों मोदक इतने पसंद है और मोदक कैसे बना भगवान गणेश का प्रिय भोग। भगवान गणेश के प्रिय भोग मोदक को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। जानते हैं तीन रोचक कथाओं के बारे में कि आखिर मोदक कैसे बना भगवान गणेश का प्रिय भोग।
भगवान परशुराम से जुड़ी कथा
सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव कैलाश पर ध्यान कर रहे थे। उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने के लिए कहा। तभी भगवान परशुराम शिवजी से मिलने वहां पहुंचे। लेकिन गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक दिया। बार-बार कहने पर भी गणेश जी नहीं माने तो परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी को युद्ध के लिए चुनौती दे दी। युद्ध में परशुराम ने शिव जी द्वारा प्राप्त परशु से गणेश जी पर प्रहार किया, जिससे गणपति का एक दांत टूट गया। दांत टूटने के कारण गणेश जी को खाने और चबाने में परेशानी होने लगी। तब माता पार्वती ने उनके लिए मोदक तैयार करवाएं। मुलायम होने के कारण गणेश जी ने इसे आसानी से खा लिया और उनका पेट भी भर गया। तब से मोदक गणपति का प्रिय भोग बन गया।
Also Read: Ganesh Chaturthi 2022 Shubh Muhrat: खास योग में मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी का त्योहार
माता अनुसुइया से जी दूसरी कथा के अनुसार
यह कथा भगवान गणेश और माता अनुसुइया से जुड़ी है। एक बार गणेश जी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ अनुसुइया के घर गए थे। माता अनुसुइया ने सोचा कि पहले गणेश जी को भोजन कराया जाए। माता अनुसुइया ने गणेश जी को खाना खिलाना शुरू किया। वह उन्हें खाना खिलाती जा रही थी लेकिन गणेश जी की भूख ही नहीं मिल रही थी। माता अनुसुइया भी परेशान हो गई। तब उसने सोचा कि अब गणेशजी को कुछ मीठा खिला दूं, इससे शायद गणेश जी का पेट भर जाए। तब माता अनुसुइया ने गणेश जी को मोदक खिलाए। मोदक खाते ही गणेश जी की भूख शांत हो गई और उनका पेट भी भर गया। मोदक खाने के बाद गणेश जी ने जोर की डकार ली। तब से ही मोदक गणेश का प्रिय व्यंजन कहा जाने लगा और उनकी हर पूजा में मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है।
मोदक से जुड़ी तीसरी कथा
देवताओं ने अमृत से मोदक को बनाया और देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया। अमृत से बने मोदक के बारे में जब भगवान गणेश को पता चला तो उन्होंने माता पार्वती से इस दिव्य मोदक को खाने की इच्छा जताई। माता पार्वती ने गणेश जी को मोदक खाने को दिया। गणेश जी को इसका स्वाद बहुत पसंद आया और तब से ही गणेश जी मोदक प्रिय हो गया।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)