- प्रतिमा का चयन मनोकामनाओं के अनुसार रखें
- बाएं सूंढ़ वाले गणपति जी विघ्ननाशक होते हैं
- दाई सूंढ़ वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं
भगवान गणेशजी की पूजा के बिना किसी भी देवी या देवता की पूजा स्वीकार्य नहीं होती। इसलिए घर में गणपति जी की पूजा होना बहुत जरूरी है। गणपति जी विघ्नहर्ता भी हैं और सुख-समृद्धि के दाता भी। हर घर में गणपति जी की प्रतिमा होती है, लेकिन प्रतिमा का स्वरूप कैसा होना चाहिए, यह जानना जरूरी है, क्योंकि उनके विभिन्न स्वरूप की पूजा का प्रभाव अलग-अलग होता है। कई बार गणपति जी के सूंढ़ की दिशा और मुद्रा को लेकर लोगों में संशय बना रहता है कि किस तरह की प्रतिमा घर में रखनी चाहिए। साथ ही किस मुद्रा में विराजमान गणपति जी आपकी किन मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं ये भी जान लें।
घर में किस दिशा में होनी चाहिए गणपति जी की सूंढ
दाई सूंढ़ वाले गणपति जी सिद्धि विनायक कहलाते हैं और बाईं सूंढ़ वाले गणपति जी विघ्नहर्ता। शास्त्रों में दोनों की पूजा के विधान अलग बताए गए हैं। हालांकि गृहस्थ वालों को घर में बाएं सूंढ़ वाली प्रतिमा ही शास्त्रों में लेने का जिक्र है, क्योंकि दाएं सूंढ़ की प्रतिमा की पूजा के नियम-कायदे काफी कठिन है और इनकी पूजा घर में नहीं हो सकती। इनकी पूजा केवल मंदिरों में ही विधिवत की जा सकती है। इसलिए कभी भी दाई सूंढ़ वाली प्रतिमा को घर में स्थापति न करें। वहीं प्रतिमा हमेशी बैठी हुई मुद्रा में ही लेनी चाहिए, क्योंकि खड़ी मुद्रा में गणेशजी चलायमान होते हैं।
घर के मुख्य द्वार के बारह ऐसी होनी चाहिए गणपति की प्रतिमा
घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की बाई सूंढ़ वाली ही प्रतिमा लगानी चाहिए, क्योंकि ये स्वरूप उनका विघ्नविनाशक होता है। घर में प्रवेश करते समय विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन होने मुख्य द्वार पर दर्शन होने से बाहर से आने वाली हर तरह की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी बाहर ही रह जाती हैं।
गणपति जी को कहां करना चाहिए स्थापित
वास्तु के अनुसार गणेश जी को घर के ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा या ईशान पर ही विराजना चाहिए। साथ ही गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो। गणेश जी को दक्षिण या नैऋत्य कोण में कभी नहीं रखना चाहिए। यह भी ध्यान दें कि आमने-सामने गणेश जी प्रतिमा न हो।
किस स्वरूप के दर्शन से मिलता है, कौन सा लाभ
- दाईं सूंढ़ गणपति जी के दर्शन किसी भी काम से निकलने से पहले जरूर करना चाहिए। इससे सारे कार्य सफल होते हैं। वहीं इस प्रतिमा के पूजा से विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है।
- बाईं सूंढ़ वाले गणपति जी की पूजा से ज्ञान, शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय और नौकरी में उन्नति, संतान सुख, विवाह और खुशहाल परिवार मिलता है।
- सीधी सूढ़ वाले गणपति जी की पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि की प्राप्ति होती है।
- संतान सुख की कामना के लिए बाल गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- घर में उत्साह और धन के लिए नृत्य मुद्रा वाली गणेश जी की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। इस प्रतिमा की पूजा से छात्रों और कला जगत से जुड़े लोगों को विशेष लाभ मिलता है।
- लेटे हुए मुद्रा में गणपति जी की पूजा से घर में सुख और आनंद का स्थायित्व बना रहता है।
- सिंदूरी रंग वाले गणेश को समृद्घि दायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों को करना चाहिए।
इस बात का ध्यान रखें कि घर में जहां भी गणेश जी हो। घर में चाहे जितने गणपति हों पूजा सिर्फ एक ही ही करनी चाहिए।