- गणपति जी का सबसे प्रिय प्रसाद मोदक और लड़डू है
- पूरण पोली और पायसम के साथ भोग बनेगा पूर्ण
- शुद्ध घी में गुड़ पका कर भगवान को भोग लगाएं
गणेश चतुर्थी पर गणेश जी का जन्म हुआ था और इस दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी तक उत्सव मनाया जाता है। दस दिन तक चलने वाले इस उत्सव में भगवान की बहुत ही खास पूजा की जाती है। लोग अपने घरों में गणपति जी को स्थापित कर दस दिन तक पूजा करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विर्सजन करते हैं। यदि आप भी घर में गणपति स्थापित कर रहे तो आपको दस दिन तक उन्हें अलग-अलग भोग अर्पित करने चाहिए। भगवान गणपति को भोग में उनकी पसंद की चीजें अर्पित करने से आपके पूरे परिवार पर उनकी कृपा की बरसात जरूर होगी।
गणेश उत्सव के दस दिन गणपति जी को लगाएं ये अलग-अलग उनके प्रिय भोग
- मोदक : मोदक गणपति जी का सबसे प्रिय भोग है। चावल के आटे और नारियल और गुड़ से बना पारंपरिक मोदक आप भगवान को भोग में पहले दिन लगाएं। हालांकि मोदक कई तरह से बनते हैं, लेकिन नारियल और गुड़ का मोदक ही उनका सर्वप्रिय भोग है।
- मोतीचूर के लड्डू : भगवान को दूसरा सबसे प्रिय भोग होता है मोतीचूर का लड्डू। बेसन से बना ये लड्डू उनके साथ उनके वाहन मूषकराज को भी बेहद प्रिय है। शुद्ध घी से बने बेसन के येलड्डू आप प्रभु को दूसरे दिन भोग में अर्पित करें।
- नारियल चावल : गणपति जी को नारियल वाले चावल भी बहुत पसंद है और आप तीसरे दिन उनकी पूजा में यह भोग अर्पित करें। नारियल के दूध में चावल को पका कर इस भोग को बनाया जाता है। आप चाहें तो इसमें गुड़ या चीनी भी मिला सकते हैं।
- पूरण पोली : चने की दाल और गुड़ के साथ बनी पूरण पोली गणपति जी का प्रसाद है। कई जगह इसे खोआ के साथ भी बनाया जाता है। चौथे दिन आप भगवान के समक्ष इस भोग को अर्पित करें। निश्चित रूप से प्रभु आप पर प्रसन्न होंगे।
- श्रीखंड : गणपति जी की पूजा में श्रीखंड सबसे प्रिय भोग माना गया है। केसर को दही और चीनी के साथ कई तरह के मेवे के साथ मिला कर बनाया जाता है। आप चाहें तो श्रीखंड के अलावा पंचामृत या पंजरी का भी पांचवें दिन भोग लगा सकते हैं।
- केले का शीरा : पके हुए केले को मैश कर उसे सूजी और चीनी में मिला कर शीरा बनाया जाता है। आप चाहे तो इसकी जगह शुद्ध घी में बना हलवा भी भगवान को भोग में लगा सकते हैं। छठें दिन यह भोग भगवान को अर्पित करें।
- रवा पोंगल : रवा यानी सूजी और मूंग की दाल को पीस कर घी और ढेर सारे मेवे के साथ मिलाकर बनाया जाता है। एक तरह से ये मूंग का हलवा ही होता है। इसे आप सातवे दिन गणपति जी की भोग थाली में रख सकते हैं।
- पयसम : यह भी एक पारंपारिक भोग है और विशेष कर दक्षिण भारत में इसे बनाया जाता है। यह खीर का ही एक रूप है। चावल या सेवई को दूध और चीनी या गुड़ के साथ बनाया जाता है। इलायची पाउडर, घी और अन्य ड्राई फ्रूट्स इसमें डाला जाता है। आठवें दिन ये भोग प्रभु को बेहद पसंद आएगा।
- शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं : गणपति जी को शुद्ध घी में पका हुआ गुड़ का भोग बहुत भाता है। इसलिए आप नौवें दिन गणपति जी को ये भोग लगा सकते हैं। आप चाहे तो इस गुड़ में छुआरे, नारियल भी मिला सकते हैं।
- छप्पन भोग : दसवें दिन गणपति जी सारे ही पसंदीदा भोग के साथ कई और भोग बनाएं। इन भोग की संख्या 56 प्रकार की होनी चाहिए। आप चाहे तो इसमें कोई भी भोग बना सकते हैं। शुद्ध और सात्विक भोजन के साथ गणपति जी का इस दिन खास भोग लगाया जाता है।
गणपति जी को प्रेमपूर्वक अपने हाथों से बना कर भोग चढ़ाएं। ऐसा करने भर से भगवान आपके पूरे परिवार पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखेंगे।