Geeta Gyan In Lock down Part 11: ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिए किसी भव्य तप की जरूरत नहीं है। नर को नारायण मान कर, समाज कल्याण करने वाला व्यक्ति ही परमात्मा की असीम कृपा का पात्र बन उन्हें पा लेता है। आइए जानते हैं कि गीता के अनुसार क्या करना चाहिए।
पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।
न हि कल्याणकृत्कश्रीद्द दुर्गतिं तात गच्छति।
गीता:अध्याय 06 श्लोक 40
भावार्थ- भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- हे अर्जुन! जो योगी इस संसार में निरंतर कल्याण कार्य में लगा है उसका न ही इस लोक में तथा न ही परलोक में विनाश होता है। आत्मोद्धार के लिए कर्म करने वाला मनुष्य कभी भी दुर्गति को नहीं प्राप्त होता है।
दार्शनिक व आध्यात्मिक व्याख्या- जो भक्त आत्मोद्धार के मार्ग में लगा है, वह ही कृष्णमय है। जो समस्त भौतिक आशाओं का त्याग करके समाज में कल्याण कार्य कर रहा है तथा उस कार्य को भगवान द्वारा प्रदत्त कार्य मान कर व उनको ही समर्पित कर रहा है, ऐसा भक्त महान होता है।
ऐसे महापुरुष की किसी भी लोक में कभी दुर्गति नहीं होती है। ऐसा भक्त भगवान को बहुत ही प्रिय होता है। जो लोग भगवान को नहीं मानते व सदैव भौतिक सुखों को ही प्रधान मान लेते हैं वो सिर्फ इन्द्रीयतृप्ति में लगे रहते हैं। उनको जन्म, जन्म का कारण, स्वर्ग- नरक,सईश्वर व प्रकृति से कोई लेना देना नहीं है।
वो केवल धन कमाने व शारीरिक सुख को ही प्रधान मान लेते हैं। पशुओं की तरह उनके पास न तप है, न ज्ञान है, न शील है, न वैराग्य है तथा न ही धर्म है, ऐसे लोग धरती पर भार हैं। हमारा कोई भी कर्म किसी भी जीव को दुःख न दे। जो लोग शास्त्रवत कार्य करते हैं वो सम्पूर्ण विश्व को परिवार मानते हैं।
उनके लिए जनसेवा ही धर्म है। जो समाजसेवा व लोक कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं, ऐसे महान पुरुष भगवान को बहुत ही प्रिय होते हैं क्योंकि वो भगवान के ही कार्य को कर रहे हैं इसलिए उनकी न इस लोक में तथा न परलोक में कभी कोई दुर्गति होती है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसका अनुकरणीय व्याख्या
इस समय जो लोग दिन रात भूखों को भोजन दे रहे हैं। चिकित्सा कार्य में लगे हैं। जिनके लिए आज नर ही नारायण है। किसी गरीब व्यक्ति की तन, मन व धन से लगातार मदद कर रहे हैं, ऐसे महान पुरुष भगवान के ही कार्य कर रहे हैं।
ऐसे व्यक्तियों के लिए न ही इस लोक में न ही परलोक में कोई भी दुर्गति है अर्थात उनको इस लोक में मंगल की प्राप्ति के साथ साथ परमात्मा का असीम आशीर्वाद प्राप्त होगा। ऐसे महान लोग हर लोक में सदैव भगवान के आशीर्वाद के साथ आनंदित रहते हैं।