- मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश
- 5000 साल पहले कृष्ण ने दिया था अर्जुन को गीता का उपदेश
- इस साल 25 दिसंबर को मनाई जाएगी गीता जयंती
कहा जाता है कि अगर कोई इंसान मानसिक या शारीरिक परेशानियों से जूझ रहा है तो उसे गीता थमा दो, उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। हिंदू धर्म में ग्रंथों का एक विशेष स्थान है, इन ग्रंथों में एक, गीता है जिसमें कुल 18 अध्याय हैं। यह कहा जाता है कि गीता के पहले 6 अध्याय कर्मयोग के ऊपर हैं, बीच के 6 अध्याय में ज्ञानयोग की व्याख्या की गई है और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग का ज्ञान दिया गया है।
इस पवित्र ग्रंथ में पूरे 700 श्लोक हैं जो इंसान को जीवन जीने का तरीका बताते हैं। इन्हीं श्लोकों का मतलब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में समझाया था और उन्हें गीता का उपदेश दिया था। 25 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जा रही है जो हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है।
गीता जयंती की तिथि और शुभ समय (Gita Jayanti 2020 Tithi and Muhurat)
हिंदू ज्ञाता यह बताते हैं कि कलयुग के शुरू होने से 30 साल पहले गीता का उद्भव मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन हुआ था। इस साल 25 दिसंबर को भारत में गीता की 5157वीं जयंती मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि की शुरुआत- 24 दिसंबर 2020 (रात के 11:17 से )
एकादशी तिथि का समापन- 25 दिसंबर 2020 (रात के 1:54 तक)
हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही क्यों मनाई जाती है गीता जयंती (When is Gita Jayanti celebrated)
हिंदू सनातन धर्म के गुरु यह बताते हैं कि 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के ही दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए हर साल गीता जयंती को इसी अवसर पर मनाया जाता है।
किस लिए दिया गया था गीता का उपदेश?
बात यह द्वापर युग की है जब महाभारत का दौर था और कौरवों और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में युद्ध छिड़ गया था। युद्ध में अर्जुन ने जब अपने ही भाइयों को सामने पाया तो उन्हें मारने से पहले अर्जुन ने अपने पांव पीछे खींच लिए थे। अर्जुन को परेशान देखकर कृष्ण ने उन्हें धर्म का पालन करने के लिए कहा था और उन्हें धर्म का पाठ पढ़ाया था जिसे हम गीता का उपदेश कहते हैं।
कौन सी बातें हैं विशेष
अर्जुन को उपदेश देते समय भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि हर एक इंसान को हमेशा धर्म का साथ देना चाहिए। गीता को पढ़ने से अच्छे और बुरे कर्मों का फर्क समझ में आता है। जब भी मन विचलित हो तो उस समय अपने दिमाग को शांत कैसे रखा जाए यह कला गीता से सीखने को मिलती है। विज्ञान भी श्रीमद्भागवत गीता में बताई गई चीज़ों का तोड़ नहीं निकाल पाई है। दूसरी ओर गीता में ही कई वैज्ञानिक चीजों का उपाय छुपा हुआ है। इसीलिए आज भी गीता बहुत मायने रखती है और इस जमाने में भी प्रासंगिक है।
क्या होता है गीता जयंती के दिन
गीता जयंती के दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं और श्रीमद्भागवत गीता का विधि अनुसार पाठ करके अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि को आह्वान करते हैं। यह कहा जाता है कि जो भी भक्त इस दिन भगवान श्री कृष्ण को सच्चे दिल से याद करता है उस पर भगवान अपनी कृपा दृष्टि बरसाते हैं। कई भक्त इस दिन एकादशी का व्रत भी करते हैं और मनवांछित फल पाते हैं।