- माघ महीने की अमावस्या को "मौनी अमावस्या" कहा जाता है
- 11 फरवरी को "मौनी अमावस्या" का प्रमुख स्नान है
- श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य
हरिद्वार में इस बार कुंभ मेले (Haridwar Kumbh) का आयोजन किया जा रहा है उसमें शाही स्नान (Shahi Snan) का अपना महत्व होता है वहीं 11 फरवरी यानि "मौनी अमावस्या" (Mauni Amavasya) पर स्नान करना बेहद पुण्यदायक माना जाता है, आज इसके लिए हरिद्धार प्रशासन खासा मुस्तैद है और उसने कोरोना संकट को देखते हुए उसी के हिसाब से तैयारियां की हैं। यहां होने वाले स्नानों के लिए भी पूरी एहतियात बरती जा रही है 11 फरवरी को मौनी अमावस्या और 16 फरवरी को वसंत पंचमी स्नान (Basant Panchami Snan) है, जो केंद्र की SOP के अनुसार ही होंगे।
कोविड-19 को देखते हुए स्नान के लिए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य होगा। रिपोर्ट 72 घंटे की अवधि की होनी चाहिए। निगेटिव रिपोर्ट न लाने पर श्रद्धालुओं को सीमा पर प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, हालांकि स्थानीय लोग निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता से मुक्त होंगे।
स्नान करने के लिए बाहर से आने वाले वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा बिना पंजीकरण आने वाले श्रद्धालुओं को राज्य की सीमा से ही वापस कर दिया जाएगा वहीं भीड़ को देखते हुए सीमा पर पुलिस का सख्त पहरा रहेगा।
स्नान के लिए गाइडलाइंस को कोरोना से बचाव के लिए सरकार के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर और उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए जारी किया गया है।
"मौनी अमावस्या" कुंभ मेले की वजह से और भी खास
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) कहा जाता है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णुऔर शिव जी को पूजा जाता है इस बार मौनी अमावस्या कुंभ मेले की वजह से और भी खास है।
मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य आदि करने चाहिए, यदि किसी व्यक्ति का सामर्थ्य त्रिवेणी के संगम अथवा अन्य किसी तीर्थ स्थान पर जाने का नहीं है, तो वह अपने घर में ही स्नान, दान व व्रत कर सकता है।
इस कुंभ मेले में लोग आस्था की डुबकी लगाने हर साल आते हैं कहते हैं कि व्यक्ति के सभी पाप इस स्नान से धुल जाते हैं इसके साथ साधु-संत भी कुंभ में स्नान के लिए आते हैं।