नई दिल्ली : हिंदू परंपराओं में नारियल को खासा महत्व दिया गया है। लेकिन कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि पूजा में पुरुष ही नारियल फोड़ते हैं. जबकि घर की स्त्रियों का नारियल फोड़ना वर्जित बताया गया है।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है नारियल
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर कर्मकांड में नारियल को जोड़ा जाता है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है औ इसे शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति व सौभाग्य का सूचक माना गया है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लेकर आए थे। इस वजह से नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते हैं।
वहीं नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। इसके अलावा, नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के तौर पर देखा जाता है।
महिलाओं के लिए क्यों वर्जित है नारियल फोड़ना
नारियल दरअसल बीज रूप है, जिसके चलते इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़कर देखा गया है। चूंकि प्रकृति ने प्रजनन की जिम्मेदारी महिलाओं को दी है, इसी वजह से स्त्रियों के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना वर्जित किया गया है।
क्या बलि की परंपरा की जगह आया नारियल फोड़ना
आमतौर पर नारियल को फोड़कर या बधार कर ही देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है. देवताओं को खुश करने के लिए पशुओं की बलि देने की परंपरा थी, लेकिन इस पर रोक लगने के साथ ही नारियल की बलि दी जाने लगी। प्राचीन परंपराओं में बलि पुरुषों द्वारा ही दी जाती है। इस कारण से भी महिलाओं द्वारा नारियल नहीं फोड़ा जाता है।