- होली से आठ दिन पहले लगता है होलाष्टक।
- इस दौरान शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों की होती है मनाही।
- फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने कामदेव को किया था भस्म।
Holashtak 2022 start and end date in India: सनातन धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है, इसे खुशियों का पर्व कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है और शादी विवाह पर भी रोक लग जाती है। जी हां फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक यानी होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। यही वह समय था जब श्रीहरि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को बंदी गृह में कड़ी यातनाएं दी जा रही थी।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दौरान ग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। तथा इस समय वातावरण में काफी नकारात्मकता होती है। विज्ञान कहता है कि मौसम में परिवर्तन के कारण अक्सर लोगों का स्वास्थ्य खराब रहता है, इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों के बजाए मन को आनंदित करने वाले कार्य करना चाहिए। इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं साल 2022 में कब है होलाष्टक, इस दौरान शुभ कार्यों की क्यों होती है मनाही।
होलाष्टक 2022 कब से लग रहा है, Holashtak 2022 start date in India
हिंदू पंचांग के अनुसार 17 फरवरी 2022, गुरुवार को माघ माह की समाप्ति के साथ फाल्गुन मास की शुरुआत हो रही है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक लग जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च 2022, बुधवार से लेकर 18 मार्च 2022, शुक्रवार तक लग रहा है। होलाष्टक के अंमित दिन से होलिका दहन की तैयारी शुरू हो जाती है।
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Holashtak and Holika Dahan 2022 Dates, होलाष्टक 2022 कब से लगेगा
- होलाष्टक प्रारंभ तिथि – 10 मार्च 2022, बुधवार
- होलाष्टक समाप्ति तिथि – 18 मार्च 2022, शुक्रवार
- होलिका दहन – 17 मार्च 2022, गुरुवार
- होली – 18 मार्च 2022, शुक्रवार
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होलाष्टक में शुभ कार्यों की क्यों होती है मनाही
होलाष्टक में सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है, इस दौरान शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। हालांकि देवी देवताओं की अराधना के लिए ये आठ दिन विशेष माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान देवी देवताओं की अराधना करने से उनका आशीर्वाद अपने भक्तों पर सर्वदा बना रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने तपस्या भंग करने के दोष में कामदेव को भस्म कर दिया था।
वहीं होलाष्टक को लेकर एक कथा और भी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि यही वह समय था जब हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रहलाद को श्रीहरि भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कड़ी यातनाएं दी थी। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका की गोदी में प्रहलाद को बिठाकर जला दिया था, लेकिन इसके बावजूद प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ। जबकि होलिका जल कर राख हो गई थी। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है, इस दौरान सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है। लेकिन जन्म या मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है।