- केतु बिगड़ने पर मिलते हैं ये खराब नतीजे
- इंसान के जीवन में आते हैं ये बुरे बदलाव
- केतु के दुष्प्रभावों से बचाएंगे ये उपाय
Ketu Ke Dushprabhav: केतु को ज्योतिष में एक छाया ग्रह माना जाता है। इसकी परिकल्पना सूर्य और चन्द्रमा के आपसी संबंधों से की गई है। सामान्यतः अकेले होने पर इसका स्वभाव मंगल की तरह माना जाता है। इसका गुण ऐसा है कि ये जिस भी ग्रह के साथ बैठता है, उसकी शक्तियों में वृद्धि कर देता है। इसे गूढ़ज्ञान, आध्यात्म, मोक्ष, तंत्र-मंत्र, आकस्मिक परिणाम, हिंसा और संकट का कारक होता है। व्यक्ति के जीवन के ऐसे रहस्य जिनका संबंध पूर्वजन्म से है, केतु ही खोल सकता है। किसी भी व्यक्ति की संपूर्ण क्षमताओं को प्रयोग करने के लिए केतु की तरफ जाना आवश्यक है।
केतु कैसे देता है खराब परिणाम?
जब कोई व्यक्ति उदास रहने लगे तो समझ लीजिए केतु बिगड़ने के लक्षण हैं। ऐसे लोगों में ऊर्जा की कमी दिखती है। चीजों से मन भागने लगता है। स्नान करने की इच्छा समाप्त हो जाती है। रक्त संबंधित समस्याएं पैदा होती हैं। ईश्वर और आध्यात्म से मन विमुख हो जाता है। व्यक्ति भोगवादी होने लगता है। देर से सोने और देर तक सोने की आदत पड़ जाती है। व्यक्ति से गलतियां होती हैं और वो उन्हें छिपाने लगता है।
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केतु शुभ परिणाम दे तो क्या होता है?
केतु के शुभ परिणाम देने पर व्यक्ति अनुशासित हो जाता है। उसका आचरण अच्छा होने लगता है। ऐसे लोग धार्मिक स्थान पर यात्रा करना पसंद करते हैं। व्यक्ति को कम उम्र में ही धर्म आद्यात्म और गूढ़ विद्याओं में झुकाव हो जाता है। अगर ऐसे व्यक्तियों को सही मार्गदर्शन मिले तो इनकी छठवी इन्द्री जग जाती है।
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दुष्प्रभावों से बचने के उपाय
केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए तांत्रिक या वैदिक मंत्रों का जाप करें। शनिवार को काले कम्बल का दान करें। भैरव मंदिर में नारियल अर्पण करें। ज्योतिषीय परामर्श से बृहस्पति अथवा शुक्र का रत्न धारण करें। ब्रह्म मुहूर्त में ही जागें और सूर्य को अर्घ्य दें। नशा बिलकुल न करें और हरे पौधे न काटें। चन्दन, तुलसी दल और केसर का प्रयोग करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)