- निर्जला एकादशी का व्रत जेष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है
- हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा
- मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को 24 एकादशियों का फल मिलता है
Nirjala Ekadashi Vrat 2022: हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल भर में 24 एकादशी पड़ती है और इनमें से निर्जला एकादशी सबसे अहम होती है। निर्जला एकादशी का व्रत जेष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को 24 एकादशियों का फल मिलता है। यह व्रत बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है। एकादशी भगवान विष्णु को अति प्रिय हैं। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की खास कृपा होती है। आइए जानते हैं कैसे रखा जाता है व्रत और इसके और इसे खोलने का क्या है नियम...
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जानिए कैसे रखा जाता है व्रत
निर्जला एकादशी का व्रत एक दिन पहले अर्थात दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाता है। रात से ही अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर लें व उसके बाद स्नान कर लें। स्नान करते वक्त पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद साफ पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पीले चंदन पीले फल फूल से पूजा करें और पीली मिठाई भगवान विष्णु को अर्पण करें। एक आसन पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। आम के फल का भोग भगवान विष्णु को लगाएं।
ऐसे खोले व्रत
निर्जला एकादशी के दिन पूरे समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन साधारण भोजन पूड़ी, हलवा, सब्जी के साथ आम का फल व जल रखकर भगवान विष्णु की अराधना करते हुए पहले जल ग्रहण करें, फिर भोजन शुरू करना चाहिए। इस दिन भोजन करने से पहले गरीबों को भोजन दान करना भी शुभ माना जाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)