- हनुमान जी से शुरू हुई थी शनि देव को तेल चढ़ाने की प्रथा।
- शनि देव को तेल चढ़ाने से होती हैं सभी परेशानियां दूर।
- साढ़ेसाती और ढैय्या से भी मिलती है मुक्ति।
नई दिल्ली. आपने अपने बड़ों से यह सुना होगा कि न्याय के देवता शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। मंदिर में भी आपने लोगों को शनि देव या पीपल के पेड़ पर सरसों का तेल चढ़ाते हुए देखा होगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना बहुत अनुकूल माना गया है। यह कहा जाता है कि शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और शनि दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
जिन लोगों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही होती है वह हर शनिवार को मंदिर में जा कर शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करते हैं।
जानिए शनि देव को सरसों का तेल क्यों चढ़ाया जाता है और सरसों का तेल चढ़ाने का सही तरीका क्या है।
क्यों चढ़ाया जाता है शनि देव का सरसों का तेल?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राम सेतु बन कर तैयार हो गया था और हनुमान जी को उसकी रक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया था तब हनुमान जी शनिवार के दिन पेड़ के नीचे बैठकर राम का नाम जप रहे थे। उस दौरान शनि देव का अहंकार सर चढ़कर बोल रहा था।
शनि देव ने हनुमान जी को देखा और उनके पास चले गए। हनुमान जी के पास जाकर शनि देव उन्हें ललकारने लगे और उन्हें युद्ध की चुनौती देने लगे। शनि देव की बात सुनकर हनुमान जी बोले कि वह अभी अपने भगवान राम की आराधना कर रहे हैं इसीलिए उनके आराधना को भंग ना करें।
ललकारते रहे शनि देव
शनि देव अपनी हरकतों से बाज नहीं आए और वह हनुमान जी को ललकारते रहे। हनुमान जी को गुस्सा आया और वह शनि देव के चारों तरफ अपनी पूंछ को लपेटते रहे। धीरे-धीरे करके पूंछ की पकड़ तेज हो रही थी जिससे शनि देव को पीड़ा हो रही थी।
हनुमान जी अपनी पूछ के सहारे शनि देव को रामसेतु पर पीटते रहे जिसके वजह से शनि देव को बहुत चोट लग गई थी। जब शनि देव का दर्द बर्दाश्त के बाहर हो गया, तब उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना किया कि वह उन्हें छोड़ दें।
इस वादे पर माने भगवान हनुमान
हनुमान जी ने कहा कि मैं तुम्हें तभी छोडूंगा जब तुम मुझसे यह वादा करोगे कि तुम भविष्य में कभी भी राम के भक्तों को परेशान नहीं करोगे। तब शनि देव जी ने हनुमान जी से यह वादा किया था कि मैं भविष्य में कभी भी राम जी और हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करुंगा।
हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ से आजाद कर दिया। शनि देव ने दर्द से निजात पाने के लिए हनुमान जी से तेल मांगा। हनुमान जी ने उन्हें सरसों का तेल दिया जिसको लगाने से शनि देव की सभी चोट ठीक हो गई थी। तब से यह प्रथा चली आ रही है।
कैसे चढ़ाएं शनिदेव को सरसों तेल?
अगर आप शनि दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं या फिर किसी परेशानी से निजात पाना चाहते हैं तो हर शनिवार को सूर्य उदय होने से पहले शनि देव को या पीपल के पेड़ पर सरसों का तेल चढ़ाइए।
शाम को भी सूर्य अस्त होने से पहले ठीक ऐसा कीजिए। शनिवार के दिन को शनि ग्रह का दिन माना जाता है इसीलिए इस दिन शनिदेव की पूजा और आराधना की जाती है।