Jagannath Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi, Chaturbhuja Jagannath Aarti Lyrics in Hindi: जगन्नाथ रथ यात्रा आज भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम के साथ निकाली जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार यह यात्रा हर साल आषाढ़ मास की द्वितीय तिथि को निकाल जाती है। हिंदुओं के लिए यह दिन बेहद पवित्र होता है। मान्यताओं के अनुसार आज भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर आराम करने जाते हैं। पुरी रथ यात्रा में लाखों की तादात में भगवान विष्णु के भक्त पूरी श्रद्धा के साथ रथ को खींचकर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के भगवान जगन्नाथ जी की पूजा सच्चे मन से करने से सभी मुरादे शीघ्र पूर्ण हो जाती है। यदि आप भी भगवान जगन्नाथ जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए आज उनकी पूजा करने की सोच रहे हैं, तो पूजा करने के बाद इस आरती को जरूर पढ़ें। ऐसा कहा जाता है, पूजा के बाद आरती करने से भगवान जगन्नाथ बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। यहां आप भगवान जगन्नाथ जी की आरती हिंदी लिरिक्स के साथ देख कर पढ़ सकते हैं।
Jagannath Rath Yatra Facts: जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें
Jagannath Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi, जगन्नाथ जी की आरती हिंदी में
आरती श्री जगन्नाथ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी