- वाल्मीकि रामायण के अनुसार महज 6 साल की उम्र में माता सीता का हुआ था विवाह।
- भगवान राम से विवाह के बाद माता सीता कभी नहीं गई थीं अपने मायके।
- माता सीता ने लंका में बिताए थे 435 दिन, 33 की उम्र में सीता हुई थीं रावण के कैद से आजाद।
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में माता-सीता पवित्रता और पतिव्रता औरत की सबसे बड़ी सुबूत मानी जाती हैं। अपने पति के प्रति उनका सम्मान और प्यार लोगों को प्रेरणा देता है। रामायण में माता सीता की प्रमुख भूमिका रही है।
माता सीता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। आपने टीवी या किताबों से जाना होगा कि माता सीता एक उच्च चरित्र वाली महिला थीं। वाल्मीकि रामायण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि माता सीता का विवाह बाल्यावस्था में हुआ था।
जब भगवान राम से माता सीता का विवाह हुआ था तब वह महज 6 साल की थीं। विवाह के बाद देवी सीता 12 वर्ष की आयु तक अपने पिता राजा जनक के यहां रहीं थी।
इस उम्र में माता सीता को जाना पड़ा था वनवास
जब भगवान राम के साथ माता सीता वनवास जा रही थीं तब वह सिर्फ 18 वर्ष की थीं। यह उल्लेख मिलता है कि शादी के बाद माता सीता कभी अपने मायके नहीं गई थीं। माता सीता को राजा जनक ने वनवास जाने के बजाय जनकपुर चलने का सलाह दिया था।
माता सीता ने वनवास जाने की इच्छा को कभी नहीं त्यागा था। वाल्मीकि रामायण में यह कहा गया है कि सीता का हरण करने के बाद रावण उन्हें दिव्य रथ से लंका ले जा रहा था। वहीं, तुलसीदास द्वारा रचित रामायण में दिव्य रथ की जगह पुष्पक विमान का उल्लेख किया गया है।
इतने दिन सीता ने बिताए थे लंका में
जानकारों के मुताबिक, माता सीता ने लंका में कुल 435 दिन बिताए थे। रावण का वध करके जब भगवान राम माता सीता को आजाद करवा कर ले जा रहे थे तब माता सीता 33 साल की थीं।
जब रावण माता सीता को हरण करके लंका ले गया था तब लंका में माता सीता की परछाई वास करती थी। जब तक माता सीता लंका में रहीं तब तक उनका असली रूप अग्नि देव के पास था।
इस वजह से नहीं लिखती थीं भूख
वाल्मीकि रामायण से यह पता चलता है कि जब सीता रावण के लंका में रह रही थीं तब उन्हें इंद्र देव ने एक खीर खिलाया था जिसके वजह से माता सीता को भूख और प्यास नहीं लगता था।
जानकारों के अनुसार, जहां माता सीता भगवान राम और लक्ष्मण के लिए खाना बनाती थीं वह स्थान अभी भी चित्रकूट में मौजूद है। वहीं, रामायण में 147 बार माता सीता का नाम आया है।