इस दुनिया में जब भी भगवान श्री कृष्ण का नाम याद किया जाता है तब-तब उनके मामा कंस का भी जिक्र होता है। कंस न तो राक्षस था ना ही असुर था और ना ही वह दानव था। लेकिन उसके बावजूद भी कंस बहुत शक्तिशाली और मायावी राजा था। वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था लेकिन जब उसे आकाशवाणी द्वारा पता चला की उसी देवकी का आठवां पुत्र कंस की मौत का कारण बनेगा तो उसने अपनी बहन और जीजा वसुदेव को बंदी बना लिया। आज हम उसी कंस से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर बात करेंगे।
पूर्व जन्म का असुर था (Kans Kaun tha)
कंस अपने पूर्व जन्म में कालनेमि नाम का एक असुर था जिसका भगवान विष्णु ने वध किया था। देवासुर संग्राम के समय कालनेमि ने भगवान विष्णु पर त्रिशूल से प्रहार किया था लेकिन भगवान विष्णु ने उसे उसी के त्रिशूल से मृत्युदंड दे दिया था।
पिता को बंदी बनाकर बना था राजा
कंस का जन्म शूरसेन जनपद के महाराज उग्रसेन के यहां हुआ था। उग्रसेन यदुवंशियों के राजा आहुक के पुत्र थे। कंस की पांच बहने और 9 भाई थे जिनमें सबसे बड़ा कंस था। कंस ने अपने पिता उग्रसेन को राजपद से हटाकर कारागार में बंद कर दिया और खुद को शूरसेन का राजा घोषित कर दिया।
जरासंध का दामाद था
कंस बहुत चालाक और बुद्धिमान राजा था उसने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए आर्यावर्त के प्रतापी राजा जरासंध की दो पुत्रियों - अस्ति और प्राप्ति से विवाह कर लिया जिससे उसकी शक्ति और भी ज्यादा बढ़ गई थी। हालांकि, भगवान श्री कृष्ण के निर्देश पर भीम ने जरासंध का अंत कर दिया था।
कंस की प्रतिमा
भारत में ऐसी कई जगह है जहां कंस की पूजा होती है। जब आप लखनऊ से हरदोई की तरफ जाते हैं तो रास्ते में एक कंस की प्रतिमा नजर आती है। वहां के आस-पास के लोगों में इस प्रतिमा को लेकर बेहद श्रद्धा है और वह उसे पूजते भी हैं।
कंस महोत्सव
यह सुनकर आप थोड़े हैरान हो सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। हिंदुस्तान के ओडिशा राज्य में कंस महोत्सव नाम से त्यौहार मनाया जाता है। यह महोत्सव 11 दिन तक चलता है। यहां पर इन 11 दिनों तक कंस की सरकार चलती है। वह अपने राज दरबार में जिसे चाहे उसे तलब कर सकता है। कंस की वेशभूषा में जो व्यक्ति यह पात्र निभा रहा होता है वह हाथी पर बैठकर नगर में यात्रा पर निकलता है और अपने राज्य की देख-रेख करता है। इन 11 दिनों में सभी अधिकारियों को यह आदेश होता है कि हर जगह साफ सफाई होनी चाहिए और कहीं भी कोई गलत काम नहीं दिखना चाहिए। जनता को हर तरह की सुख सुविधा मुहैया कराई जाए और किसी को भी कोई तकलीफ ना हो।
जब कंस के दरबार में मुख्यमंत्री ने हाजिरी लगाई थी
यह घटना साल 1994 की है उस वक्त उड़ीसा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक थे। हालांकि, अब उनका देहांत हो चुका है। कंस ने उनको अपने दरबार में बुलाया था। बीजू पटनायक हेलीकॉप्टर से कंस के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच गए थे। कंस का यह राज दरबार पूरे 11 दिन तक चलता है। इस महोत्सव का आनंद लेने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं।