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Kartik month 2020 : 1 नवंबर से शुरू हो रहा कार्तिक मास, सुख-समृद्धि पाने के लिए जानें Kartik Maas के 7 नियम

Updated Oct 28, 2020 | 07:12 IST

Kartik Maas 7 Rules : हिन्दू धर्म में कार्तिक मास सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस पूरे मास में कई व्रत-पूजन आते हैं। कार्तिक मास में हर मनुष्य को 7 नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। आइए जानें क्या हैं ये नियम।

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Kartik Maas 7 Rules, कार्तिक मास के 7 नियम
मुख्य बातें
  • कार्तिक मास में रोज शाम को दीपदान जरूर करें
  • इस पूरे महीने तुलसी की पूजा का विशेष महत्व होता है
  • कार्तिक मास में भूमि शयन करने के साथ काम-क्रोध से दूर रहना चाहिए

पौराणिक ग्रंथों में कार्तिक महीने को विशेष धार्मिक कार्य का महीना माना गया है। इस पूरे मास व्रत व तप का विशेष  फल प्राप्त होता है। मान्यता है की कार्तिक मास मे यदि पूरे महीने मनुष्य धार्मिक कार्य और 7 नियमों का पालन करे तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक के महीने में गंगा सेवन और दान-पुण्य के साथ कई और पुण्य कार्य करने चाहिए। इस मास में ही देवउठनी एकादशी भी होती है। भगवान विष्णु इस मास की एकादशी पर ही अपनी निद्रा से उठते हैं। पुराणों में भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है। कार्तिक मास में 7 नियम प्रधान माने गए हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है।

जानें, क्या है कार्तिक मास के ये 7 नियम (Kartik Maas ke Niyam)

  1. पहला नियम प्रतिदिन करें दीपदान : कार्तिक मास में सबसे उत्त्म कार्य होता है शाम के समय मंदिर, तुलसी के पेड़, नदी, पोखर आदि में दीपदान करना। इससे बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है।
  2. दूसरा नियम तुलसी पूजा : इस पूरे महीने में तुलसी पूजन करने का विशेष विधान होता है। इस मास में ही तुलसी विवाह भी आता है। शाम के समय तुलसी में दीपदान करना भी बहुत उत्तम होता है। कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
  3. तीसरा नियम भूमि पर शयन करना : कार्तिक मास में भूमि पर सोना चाहिए। मान्यता है कि भूमि पर सोने से मन में सात्विक भावना का विकास होता है और मानिसक विकार दूर होते हैं।
  4. चौथा नियम तेल लगाना वर्जित : कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाने की छूट है। बाकी पूरे मास में तेल लगाना पूरी तरह से मना है।
  5. पांचवां नियम दाल न खाना : कार्तिक महीने में दहलन यानी कई तरह की दाल खाना मना है। खास कर उड़द,  मूंग,  मसूर,  चना,  मटर,  राई आदि से परहेज करना चाहिए।
  6. छठा नियम ब्रह्मचर्य का पालन : कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने  पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
  7. सातवां नियम संयम रखना : कार्तिक मास का व्रत करने वालों को तपस्वियों के समान व्यवहार करना चाहिए। बेहद संयमित जीवन जीना चाहिए। इस मास क्रोध, निंदा, उपहास या विवाद से बचना चाहिए।

कार्तिक मास में इन सात नियमों का पालन करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस जीवन में भी सभी सुख प्राप्त होते हैं।

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