- प्रेम और वंश बढ़ाने वाला माना गया है आटे का दीया
- आटे का दीये से ही चांद और भगवान की पूजा करनी चाहिए
- आटे का दीपक संकट दूर करने वाला होता है
करवा चौथ की पूजा पति की लंबी आयु के लिए किया रखा जाता है। इस दिन करवा और दीपक का महत्व इसलिए होता है क्योंकि पूजा में सर्वप्रथम इन्हीं चीजों का प्रयोग होता है। चांद को देखने और जल देने के लिए करवा और दीपक दोनों की ही जरूरत होती है। करवा तो मिट्टी का होता है, लेकिन दीपक आटे का बना कर प्रयोग करना चाहिए। हिंदू धर्म में आटे के दीपक का महत्व बहुत मना गया है। आटे का दीपक सुहागिने अपने हाथों से बनाती हैं और शाम को इसी दीपक में घी रखकर चांद और भगवान की पूजा की जाती है। तो आइए आपको बताएं कि व्रत में आटे के दीये का क्या महत्व है और इससे जुड़ी कई अन्य जानकारी।
जानें, आटे के दीये से पूजा का महत्व (Aate ka diya in Karwa chauth pujan)
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आटे के दीये से पूजा करने पर माना जाता है कि उम्र बढ़ती है। इसलिए करवा चौथ की पूजा में आटे के दीपक का ही प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि ये व्रत ही पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। आटे के दीये को शुद्ध और अन्न से निर्मित होने के कारण ज्यादा महत्व दिया गया है।
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माना जाता है कि आटे का दीया संतान सुख देने वाला होता है। इसलिए व्रत में यदि आटे के दीपक से पूजा की जाए तो उसका पुण्य लाभ दोगुना मिलता है।
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आटे का दीपक संकट दूर करने वाला और प्रेम भावना बढ़ाने वाला होता है। इसलिए सुहाग के त्योहार में आपको इस दीये का ही प्रयो गरकना चाहिए।
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आटे के दीपक का प्रयोग किसी बहुत बड़ी कामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। यही कारण है कि मन्नत के दिए आटे के बनाए जाते हैं। इस दीये पर मां अन्नपूर्णा का विशेष आशीर्वाद होता है।
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देवी दुर्गा, भगवान हनुमान, श्री गणेश, भोलेनाथ शंकर, भगवान विष्णु, भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम और श्री कृष्ण सभी के मंदिरों में आटे का दीप कामना पूर्ति के लिए जलाया जाता है।
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कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी में विजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट के निवारण हेतु आटे के दीप संकल्प के अनुसार जलाए जाते हैं।
आटे में हल्दी मिला कर कड़ा आटा लगा कर उसका दीपक बनाया जाता है, फिर उसमें घी या तेल डाल कर बाती जलाई जाती है।