- लोगों ने केदारनाथ यात्रा शुरू कर दी है
- सावन के महीने में बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए हजारों संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचते हैं
- केदारनाथ धाम की यात्रा बेहद शुभ मानी जाती है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं
Kedarnath Dham Yatra Tips: जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है और ऐसे में शिव भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी अराधना में लग जाते हैं। कई लोग केदारनाथ की यात्रा में भी निकल पड़ते हैं। सावन के महीने में बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए हजारों संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। केदारनाथ धाम की यात्रा बेहद शुभ मानी जाती है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं। केदारनाथ मंदिर काफी ऊंचाइयों पर स्थित है। सावन के महीने में केदारनाथ की यात्रा का विशेष लाभ होता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सावन के खास मौके पर भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र और ब्रह्मकमल अर्पित करते हैं। ऐसा करने पर भोलेनाथ भक्तों को मनोवांछित फल देते हैं। अगर आप भी केदारनाथ धाम यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। छोटी सी गलती में आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
बारिश के मौसम में जाने से करें परहेज
केदारनाथ की यात्रा में जाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान दें कि बारिश के मौसम में यात्रा करने बिल्कुल न जाएं। दरअसल पहाड़ी इलाका होने की वजह से यहां भूस्खलन का डर बना रहता है और आपदाओं का खतरा रहता है। ऐसे में बारिश के मौसम में प्लानिंग कर रहे हैं तो इस प्लानिंग को बदल दें।
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लें जाएं गर्म कपड़े
केदारनाथ मंदिर हिमालय की पहाड़ियों में बसा हुआ है। इसलिए गर्मी के मौसम में भी अगर आप केदारनाथ की यात्रा में जाने की सोच रहे हैं, तो सर्दी वाले कपड़े जरूर लें जाएं, क्योंकि यहां हर महीने ठंडी रहती है।
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हार्ट पेशेंट जरूर रखें इस बात का ध्यान
हार्ट पेशेंट को पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि केदारनाथ धाम काफी ऊंचाइयों पर स्थित है और यहां सांस लेने की दिक्कत हो सकती हैं। ऐसे में अगर हार्ट पेशेंट यात्रा करना चाहते भी हैं तो वहां के मौसम की पूरी जानकारी ले लें और अपने साथ पूरी दवाइयां रख लें।
सुबह जल्दी शुरू करें यात्रा
यात्रा की शुरुआत सुबह जल्दी से करें ताकि आराम से केदारनाथ बाबा के दर्शन हो सके और दर्शन के बाद रात में आराम करें।अगले दिन सुबह गौरीकुंड के लिए वापसी की यात्रा करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)