- सूर्य के मीन राशि में आने के साथ खरमास शुरू होता है
- 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक कोई शुभ काम नहीं होंगे
- खरमास में सूर्य पूजन का बड़ा महत्व है। इससे कुंडली दोष दूर होते हैं
हिन्दू मान्यताओं में सूर्य पूजन का बड़ा महत्व बताया गया है। साथ ही शुभ-अशुभ समय भी इसकी गति के अनुसार तय किए जाते हैं। सूर्य का अलग अलग राशियों में प्रवेश करने का भी बड़ा असर पड़ता है। जब सूर्य मीन राशि में आता है तो खरमास शुरू होता है। मार्च 2020 में खरमास 14 तारीख से लग रहा है। ये अगले 30 दिन के लिए रहेगा यानी 13 अप्रैल तक। इसके बाद 14 अप्रैल से दोबारा मांगलिक कार्य शुरू किए जा सकेंगे।
खरमास में ना करें ये काम
1- मुंडन खरमास में नहीं होते।
2- विवाह या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होगा।
3- इस बीच बेटी या बहू की विदाई नहीं होती है।
4- नवीन गृह प्रवेश नहीं होगा।
5- किसी व्यावसायिक प्रतिष्ठान का शुभारंभ नहीं होगा।
सूर्य पूजन देगा लाभ
भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और उनके पुत्र सांब के संवाद में सूर्य देव की महिमा बताई है। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है, उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
सूर्य की पूजा के लिए सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, चावल, पुष्प आदि डालकर उनको अर्घ्य दें। साथ ही इस मंत्र का जाप करें -
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ दिनकराय नमः, ऊँ दिवाकराय नमः, ऊँ खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
क्या हैं सूर्य पूजा के लाभ
खरमास में सूर्य पूजा से खासतौर पर जन्मकुंडली के सभी सूर्यजनित दोष नष्ट होते हैं। अगर कुंडली में सूर्य नीच राशिगत हो, बाल्या अथवा बृद्धा अवस्था में हो तो उनको ये पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। इसके अलवा अमावस्या के दिन जन्मे लोग भी सूर्य पूजन से समस्याओं को दूर कर सकते हैं।