- साईं की पूजा कभी जल्दीबाजी में नहीं करनी चाहिए
- साईं की पूजा किसी दूसरे के नुकसान के लिए न करें
- गुरुवार का व्रत यदि छूट जाएं तो अगले गुरुवार कर लें
साई की विशेष दिन गुरुवार माना गया है और इस दिन यदि साईं भगवान की पूजा की जाए तो मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। बस पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। साईं अपने भक्तों के प्रेम के भूखे होते हैं और यही कारण है कि साईं की पूजा में प्रेम और श्रद्धा का होने भर से मनुष्य के कष्ट दूर हो जाते हैं। साईं कभी अपनी पूजा में बहुत दिखावा या लाग-लपेट पंसद नहीं करती। जितनी सादगी से साईं की पूजा होती है उतनी ही आसानी से वह प्रसन्न भी होते हैं।
खास बात ये है कि साईं की पूजा के लिए जरूरी नहीं की मंदिर ही जाएं, भक्त अपने घरों में भी साईं की आराधना कर उनकी कृपा पा सकते हैं। तो आइए सर्वप्रथम यह जानें की साईं की पूजा में किन खास बातों का ध्यान देना जरूरी होता है।
जब भी करें साईं की पूजा तो इन नियमों का रखें ध्यान
- साईं की पूजा कभी जल्दीबाजी में न करें। उनकी पूजा शांति से प्रेम और श्रद्धापूर्वक करें।
- साईं की पूजा किसी दूसरों को कष्ट पहुंचाने की कामना के साथ न करें। साईं ऐसी पूजा स्वीकार नहीं करते।
- साई की पूजा या व्रत कोई भी कर सकता है। बस इस व्रत को निर्मल मन से करें
- यदि आप किसी खास मनोकामना के लिए व्रत कर रहे तो आपको 5,7,11 या 21 गुरुवार व्रत करना चाहिए।
- साईं के व्रत में भूखा रहना मना है। फलहार जरूर ग्रहण करें। भोजन मीठा या नमकीन कैसा भी ले सकते हैं।
- व्रत किसी भी गुरुवार को साईं की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष धूप-अगरबत्ती दिखा कर ही शुरू किया जा सकता है।
- यदि व्रत के दौरान किसी गुरुवार आप घर पर न हों तो आप उस गुरुवार व्रत न करें। अगले गुरुवार रख लें।
- यदि बीमारी या किसी अन्य वजह से व्रत छूट जाए तो अगले गुरुवार व्रत कर लें। व्रत का क्रम खंडित नहीं होगा।
- जब आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाए तब गुरुवार को व्रत का उद्यापन करें।
- व्रत उद्यापन के लिए इस दिन गरीबों को भोजन कराएं और पशु-पक्षियों को भोजन दें।
साईंबाबा के निमित्त गुरुवार व्रत रखने से से मिलने वाले लाभ
साईं कि नियमित पूजा करने से पुत्र प्राप्ति,कार्य सिद्धि, मनवांछित वर प्राप्ति,वधू प्राप्ति, धन प्राप्ति, जमीन-जायदाद,डूबा धन मिलना, शांति,शत्रु से मुक्ति, व्यापार में वृद्धि, परीक्षा में सफलता,रोग निवारण आदि के लाभ मिलते हैं।