- जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो उसे संक्रांति कहते हैं
- हर महीने 30 दिन बाद सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं
- ऐसे में जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसे उस राशि की संक्रांति कहा जाता है
Kanya Sankranti 2022 Shubh Muhurat: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने संक्रांति पड़ती है। साल में कुल 12 संक्रांति होती है। अश्विनी मास में पड़ने वाली संक्रांति को कन्या संक्रांति कहते हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। हर महीने 30 दिन बाद सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसे उस राशि की संक्रांति कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं और एक महीना कन्या राशि में विराजमान रहेंगे, इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहा गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य देव 17 सितंबर को कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने व विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति हर संकटों से छुटकारा पा लेता है। आइए जानते हैं कन्या संक्रांति का शुभ मुहूर्त व महत्व के बारे में।
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पुण्य काल का मुहूर्त
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कन्या संक्रांति का पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 08 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्यकाल का मुहूर्त सुबह 07 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दिन पूरे एक महीने बाद सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में सुबह 07 बजकर 36 मिनट पर प्रवेश करेगा। अवधि रहेगी दो घण्टे 03 मिनट्स।
सूर्य देव की पूजा का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल में कुमकुम, लाल पुष्प, इत्र, डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिनआदित्यह्दयस्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। इस पाठ को करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। अगर आपके आसपास कोई भी नदी हो तो वहां स्नान जरूर करें। वहीं अगर नदी न हो तो घर पर ही स्नान करते वक्त दो बूंद गंगाजल का डालकर स्नान करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)