- तांडव स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक से भगवान शिव की स्तुति की है
- पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने पीड़ा में तांडव स्तोत्र की स्तुति की थी
- भगवान शिव को तांडव स्तोत्र का पाठ अति प्रिय है
Shiva Tandav Stotram Path Benefits: हिंदू धर्म में तांडव स्त्रोत पाठ का विशेष महत्व है। तांडव भगवान शिव ने किया था। भगवान शिव के परम भक्त रावण ने तांडव स्तोत्र की रचना की थी। तांडव स्तोत्र में रावण ने 17 श्लोक से भगवान शिव की स्तुति की है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने पीड़ा में तांडव स्तोत्र की स्तुति की थी। भगवान शिव को तांडव स्तोत्र का पाठ अति प्रिय है। भगवान शिव क्रोध व खुशी दोनों ही स्थितियों में तांडव करते हैं। ऐसी मान्यता है कि तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और मनोवांछित फल देते हैं। आइए जानते हैं कैसे की थी रावण ने तांडव स्तोत्र की रचना व क्या है इसके फायदे।
जानिए कैसे हुई शिव तांडव स्तोत्र की रचना
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रावण भगवान शिव का सबसे परम भक्तों में से एक था। रावण ने तांडव स्तोत्र की रचना तब की थी जब वह पीड़ा में था। दरअसल अहंकारी रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश की थी। इसके बाद भगवान शिव ने अपने एक अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया था। जिससे रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया था। तब उस पीड़ा में आकर रावण ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण के द्वारा की गई स्तुति को शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना गया।
शिव तांडव स्तोत्र पाठ का लाभ
कहते हैं कि तांडव स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है। यह पाठ अत्यधिक लाभकारी है। इसका पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इसके पाठ से व्यक्ति दुख, दरिद्र व पाप कर्मों से मुक्ति पाता है। तांडव स्तोत्र का पाठ मुख्य रूप से सोमवार व शनिवार के दिन किया जाना चाहिए, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति कालसर्प व शनि के दुष्प्रभाव से भी बचता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)