- दूसरों की संपत्ति ठगने पर चढ़ जाता है जालिमाना ऋण
- जालिमाना ऋण लगने पर अचानक घटती हैं अशुभ घटनाएं
- 100 लोगों को भोजन करवाने से इस ऋण से मिल सकती है मुक्ति
Lal Kitab Tips: कहते हैं की ऋण का प्रभाव जन्म जन्मांतर तक साए की तरह पीछा करता है, इसीलिए शास्त्रों में पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, मातृ देवो भव आदि शब्दों से इंगित किया गया है। वैसे तो परंपरागत ज्योतिष ने इन तथ्यों को अपनी जन्म कुंडली में स्थान दिया है। लेकिन लाल किताब इस मामले में विशिष्ट स्थान रखता है। तात्पर्य यह है कि पूर्वजों द्वारा लिया हुआ कर्ज आगामी पीढ़ियों को भोगना पड़ता है। यहां तक की शारीरिक आर्थिक व मानसिक ऋण भी चुकाना पड़ता है। वैसे भी व्यक्ति को तीन बातें कभी भी नहीं भूलनी चाहिए - कर्ज, फर्ज और मर्ज, जो व्यक्ति इनको ध्यान में रखते हुए कर्म करता है उसे कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ता फलस्वरूप जीवन धन्य हो जाता है। यह ध्रुव सत्य है कि पूर्वजों के दोषों और कर्मों का फल उनके वंशजों को भोगना पड़ता है। इसे ही हम ऋण कहते हैं।
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क्या है जालिमाना ऋण
यदि मनुष्य के जन्मांग में दशम व एकादश भावों में सूर्य चंद्रमा वह मंगल हो तो वह व्यक्ति शनि से पीड़ित होता है यही जालिमाना अथवा निर्दयीता ऋण कहलाता है।
जालिमाना ऋण का कारण
किसी व्यक्ति का मकान धोखे से ले लेना उसके एवज में उसकी कीमत ना अदा करना या हत्या कर उसकी संपत्ति छीन लेना जालिमाना ऋण का मुख्य कारण है।
जालिमाना ऋण की पहचान
मनुष्य के घर का कोई भी दरवाजा दक्षिण दिशा में होगा या वह घर अनाथों से जमीन हड़प कर बनाया गया होगा अथवा मकान कुआं या मार्ग के ऊपर बनाया होगा। मालिक ने कई बार सोने का प्रयास किया लेकिन सो नहीं पाया होगा, अगर एक बार सो गया तो फिर जाग नहीं पाया। ऐसे घरों में अचानक अशुभ घटनाएं घटित होती रहती है।
जालिमाना ऋण का अनिष्ट फल
परिवार में विपक्षियों का सिलसिला कभी टूटता नहीं है। अग्निकांड होना, घर का गिर जाना, घर में लोग अपंग होना, परिवार के सदस्यों की असमय मृत्यु होना, सिर के समस्त बालों का झड़ना, चोरी होना आदि अनिष्ट स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
जालिमाना ऋण से बचने के उपाय
इन सभी अनिष्ट कार्यों से बचने के लिए सपरिवार पैसे इकट्ठे कर 100 मजदूरों को उत्तम भोजन कराएं। 100 जलाशयों से एक-एक मछली पकड़कर एक ही जलाशय में डालकर उन्हें आटे की गोलियां खिलाएं। तवा चकला बेलन किसी भी धर्म स्थान में दान करें। लगातार 43 दिन तक 50 ग्राम सुरमा जमीन में दबाएं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)