- आज रखा जा रहा है लंबोदर संकष्टि गणेश चतुर्थी का व्रत।
- माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है यह व्रत।
- इस दिन चंद्र देव की पूजा का है विधान।
Lambodara Sankashti Chaturthi 2022 Moonrise Time Today (आज चाँद निकलने का समय क्या है): सनातन धर्म में माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस चतुर्थी तिथि को सकट चौथ, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा पर्व और वक्रतुण्डी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2022 में लंबोदर संकष्टी चतुर्थी आज यानी 21 जनवरी 2022 के दिन मनाई जा रही है। इस दिन संतान की लंबी उम्र व खुशहाल जीवन के लिए विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से संतान के जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं। इसके साथ उन्हें रिद्धि-सिद्धि, बल और विवेक भी प्राप्त होता है।
लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव की पूजा करने का भी विधान है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यहां जानें, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु और भोपाल समेत भारत के विभिन्न राज्यों में चांद का समय क्या है।
| मुंबई | 9:27 p.m. |
| हैदराबाद | 9:05 p.m. |
| विशाखापट्टनम | 8:45 p.m. |
| नासिक | 9:22 p.m. |
| नागपुर | 8:59 p.m. |
| इंदौर | 9:11 p.m. |
| पुणे | 9:23 p.m. |
| चेन्नई | 9:02 p.m. |
| कोयंबटूर | 9:17 p.m. |
| बेंगलुरु | 9:13 p.m. |
| मैसूर | 9:17 p.m. |
| तिरुवंतपुरम | 9:19 p.m. |
| दिल्ली | 9:00 p.m. |
| भुवनेश्वर | 8:32 p.m. |
| भोपाल | 9:04 p.m. |
| कानपुर | 8:49 p.m. |
| चंडीगढ़ | 8:59 p.m. |
| सूरत | 9:25 p.m. |
| अहमदाबाद | 9:25 p.m. |
| जयपुर | 9:07 p.m. |
| उदयपुर | 9:08 p.m. |
| जोधपुर | 9:20 p.m. |
| कोलकाता | 8:20 p.m. |
| गुवाहाटी | 8:02 p.m. |
चंद्र देव को अर्घ्य देते समय करें इन मंत्रों का जाप
सकट चौथ के दिन व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है तथा संतान निरोगी और दीर्घायु बनता है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है इसके साथ चंद्र देव का आशीर्वाद सदा बना रहता है। भक्तों को स्वास्थ्य में भी लाभ मिलता है और कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है। लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक