- ठीक एक महीने के अंतराल पर लग रहा तीसरा चंद्रग्रहण
- उपछाया चंद्रग्रहण पर नहीं मान्य होगा सूतक काल का नियम
- ज्योतिष में उपछाया चंद्रग्रहण को प्रभावी नहीं माना गया है
हिन्दू धर्म में चन्द्र ग्रहण को धार्मिक घटना से भी जोड़ कर देखा जाता है। इसलिए ग्रहण का खास महत्व माना गया है। ग्रहण का प्रत्येक राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है और ग्रहण काल के दौरान विशेष सावधानी बरतनी होती है। ग्रहण लगने से पहले सूतक लगता है और सूतक लगते ही मंदिर के द्वार बंद हो जाते हैं और घर में भी खाने-पीने या किसी अन्य कार्य की मनाही हो जाती है। सूर्य ग्रहण ही नहीं चंद्र ग्रहण को भी देखने की मनाही होती हैं, क्योंकि इसके प्रभाव काफी खतरनाक माने जाते हैं। 5 जून के बाद 5 जुलाई को एक महीने के अंतराल पर लग रहे, इस चंद्रग्रहण से जुड़ी कुछ खास बातें जानिए।
5 July Chandra Grahan : चंद्र ग्रहण पर सूतक काल नहीं होगा मान्य
ग्रहण पर सूतक लगता है, लेकिन इस बार साल के तीसरे चंद्रग्रहण पर सूतक काल मान्य नहीं होगा। सूतक काल ग्रहण से पहले लगने वाला वह अशुभ पल माना जाता है, जिसके लगते ही हर तरह के कार्य रोक दिए जाते हैं और भजन-कीतर्न किया जाता है। सूतक काल चंद्र ग्रहण लगने से तीन पहर (एक पहर 3 घंटे का होता है) यानी लगभग 9 घंटे पहले ही शुरु हो जाता है और ग्रहण समाप्ति के साथ ही खत्म होता है। लेकिन इस बार सूतक काल मान्य नहीं होगा।
5 July Chandra Grahan Sutak : इसलिए नहीं लगेगा सूतक
बाकी ग्रहण की तरह इस ग्रहण में सूतक नहीं नहीं लगेगा, क्योंकि चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पूरी तरह से नहीं पड़ेगी। चंद्रग्रहण क्योंकि इस बार भी उपच्छाया चंद्रग्रहण लग रहा है। उपच्छाया से पहला स्पर्श: सुबह 08:38 बजे से शुरू होगा और अंतिम स्पर्श सुबह 11:21 बजे तक रहेगा। ग्रहण अवधि: 02 घंटे 43 मिनट 24 सेकंड होगी।
5 July Chandra Grahan kaise dekhein : उपछाया के चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से नहीं दिखते
चन्द्र ग्रहण नग्न आंखों से स्पष्ट दिखाई तभी देता है जब वह प्रच्छाया चंद्रग्रहण होता है। उपच्छाया वाले चन्द्र ग्रहण नग्न आंखों से नजर नहीं आते। इसलिए इनका बहुत अधिक महत्व नहीं होता और न ही ये इतने प्रभावशाली होते हैं। दिन में लगने वाला ग्रहण वैसे भी प्रभावशाली नहीं माना जाता है। इसलिए इनका बहुत अधिक महत्व नहीं होता है। इस दौरान कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किए जाते हैं।
5 July Chandra Grahan Indian Mythology : शास्त्रों में भी नहीं माना जाता है ऐसा ग्रहण
इस बार का चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। उपछाया चंद्रग्रहण तब लगता है जब चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।