- नियमानुसार जलानी चाहिए अखंड ज्योति
- अखंड ज्योति का बीच में बुझना होता है अशुभ
- अखंड ज्योति जलाने के कई नियम होते हैं
Akhand Jyoti Jalane Ke Niyam: हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ मे दीपक जलाया जाता है। दीप प्रज्वलित करने के बाद ही कोई भी पूजा संपन्न मानी जाती है। लेकिन अंखड ज्योति और दीपक में अंतर होता है। अखंड ज्योति का अर्थ होता है ऐसी ज्योति जोकि खंडित न हो। मतलब यह ज्योति तबतक जलती रहनी चाहिए जब तक की पूजा स्थान में देवी-देवता हैं या आपने जिस संकल्प के लिए अखंड ज्योति जलाई है वो पूरी न हो। अखंड ज्योति खासकर नवरात्र के मौके पर पूरे नौ दिनों के लिए जलाई जाती है और मां भगवती की अराधना की जाती है। अखंड ज्योति जलाने के कई नियम होते हैं, जिनका पालन करना होता है। वहीं इससे जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं। जानते हैं अखंड ज्योति के बारे में विस्तार से...
अखंड ज्योति का महत्व
सभी दीपों में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। आपने जिस पूजा के लिए या जिस मन्नत के लिए यह दीप जलाई है तब तक इसे निरंतर जलाई जाती है, बीच में इसका बुझना अशुभ माना जाता है। इस दीपक की बाती को भी बार बार नहीं बदलना चाहिए। मान्यता है कि निरंतर एक साल तक अंखड ज्योति जलाने से वास्तु दोष, क्लेश, गरीबी, चिंता जैसी सारी परेशानियों से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
- अखंड ज्योति जलाकर उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। एक व्यक्ति सदैव उसकी देखभाल के लिए मौजूद रहना चाहिए।
- घर पर अखंड ज्योति जलाने के बाद ताला नहीं लगाना चाहिए।
- यदि आपके किसी अनुष्ठान या संकल्प के लिए अखंड ज्योति जलाई है तो इसकी समाप्ति तक ज्योति को बुझने नहीं देना चाहिए।
- घी से जलाई अखंड ज्योति को दाईं ओर और तेल से जलाई अखंड ज्योति को बाईं ओर रखना चाहिए।
अखंड ज्योति जलाने के धार्मिक कारण
धार्मिक दृष्टिकोण से दीपक यानी अग्नि का वह छोटा स्वरूप, जिसे देव शक्ति का प्रतीक माना जाता है. दीपक की रोशनी में सकारात्मकता होती है, जिससे दरिद्रता दूर होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, अंखड ज्योति जलाने से घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अखंड ज्योति जलाने से पूर्व श्रीगणेश, भगवान शिव और मां दुर्गा का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)