- शिवजी से कुबेर देव को मिली धनपति की पदवी
- कुबेर मंत्र के जाप से होती है धन की प्राप्ति
- धन संपदा के स्वामी है भगवान कुबेर
Story Of Kuber Dev Punarjanam: जिस घर पर मां लक्ष्मी के साथ ही धन के देवता कुबेर देव की पूजा-अर्चना की जाती है, वहां कभी धन से जुड़ी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कुबेर देव भगवान शिव के भक्त थे। शिवजी के आशीर्वाद और कृपा से ही उन्हें धनपति की पदवि प्राप्त हुई थी। यही कारण है कि उन्हें धन का राजा कहा जाता है। धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान कुबेर देव को भी प्रसन्न करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना बेहद जरूरी होता है। कुबेर देव का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा में कुबेर मंत्र का जाप करने से धनलाभ की प्राप्ति होती है।
Also Read: Chanakya Niti: शत्रु को हराने के ये उपाय हैं बेहद कामगार, कर देंगे दुश्मन के हर वार को नाकाम
कौन हैं भगवान कुबेर देव
सबसे पहले जानते हैं कि धन के देवता कुबेर देव कौन हैं। कहा जाता है कि कुबेर देव यक्षों के राजा थे। उनका दायित्व लोगों की रक्षा करना हुआ करता था। रावण जोकि कुबेर देव के सौतेले भाई थे। रावण चाहते थे कि कुबेर देव लोकहित में कार्य न करें और उनकी बाते मानें। लेकिन कुबेर देव सत्य का साथ देते थे, जिस कारण रावण के साथ उनका मतभेद था। कुबेर देव ने एक बार दूत के जरिये रावण को बुरे कार्य न करने को लेकर संदेश भिजवाया। इस पर रावण ने उस दूत का सिर अपनी खड्ग से काट दिया। जब इस बात का पता कुबेर को चला तो युद्ध छिड़ गया।
कुबेद देव को ऐसे प्राप्त हुई धनपति की पदवी
कुबेर के यक्ष अपने बल से लड़ रहे थे जबकि रावण की राक्षसी सेना ने क्रूरता का सहारा लिया। इसलिए जीत रावण की हुई। इसके बाद रावण ने कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया। कुबेर देव हिमालयय चले गए और शिवजी की अराधना में लीन हो गए। कुबेर की भक्ति और तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें ‘धनपति’ की पदवी दी।
Also Read: Jyotish Shastra In Puja Paath: इस वजह से पूजा पाठ में दूर रखा जाता है प्याज और लहसुन
कुबेर देव का पुनर्जन्म
एक पौराणिक और रोचक कथा के अनुसार, पूर्व जन्म में कुबेर चोर थे और मंदिरों से धन-संपदा चुराया करते थे। एक बार चोरी करने के लिए कुबेर शिवजी के मंदिर पहुंचे। मंदिर में अंधेरा था और कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। उन्होंने मंदिर में धन-संपदा को देखने के लिए एक दीप जलाया। लेकिन तेज हवा होने के कारण दीपक बुझ गया। कुबेर दीपक जलाते गए और तेज हवा के कारण दीपक बुझता गया। ऐसा कई बार हुआ।
धार्मिक मान्यता के अनुसार रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन कुबेर इस बात से अंजान थे और धन चुराने की लालसा में बार-बार दीपक जला रहे थे। कुबरे के दीप जलाने की इस लगन को देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और अगले जन्म में कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त का आशीर्वाद दिया। इस घटना के बाद से ही कुबेर भगवान शिव के परम भक्त और सेवक के साथ ही धन के स्वामी बन गए।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)