- आंखों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह होता है ग्रहण।
- चंद्र ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है।
- मानव के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करता है चंद्र ग्रहण।
Lunar Eclipse 2022 Impact Human Body and Health: साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगने वाला है। इस दिन वैशाख पूर्णिमा भी पड़ रही है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन इसका प्रभाव भारत में नहीं पड़ेगा और यहां सूतक भी मान्य नहीं होगा। दरअसल सूतक तब मान्य होता है जब उस स्थान पर ग्रहण दिखाई दे। लेकिन साल के पहले चंद्र ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
चंद्र ग्रहण की अवधि दो घंटा से अधिक होगी। चंद्र ग्रहण सुबह 07:02 पर लगेगा और दोपहर 12:20 पर समाप्त हो जाएगा। चंद्र ग्रहण का प्रभाव प्रकृति और अन्य संसाधनों के साथ मानव शरीर पर भी पड़ता है। इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।
शरीर के किन हिस्सों पर पड़ता है ग्रहण का प्रभाव
- चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव आंखो पर पड़ता है। इसलिए ग्रहण को नंगी या खुली आंखों से देखने पर मनाही होती है। हालांकि सूर्य ग्रहण की अपेक्षा चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव आंखों पर कम पड़ता है। लेकिन फिर भी ग्रहण को खुली आंखों से देखने पर रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है।
- कहा जाता है कि ग्रहण का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। क्योंकि ग्रहण के दौरान निकलने वाली पैराबैंगनी किरणे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। इसलिए ग्रहण के दौरान घर पर रहने की सलाह दी जाती है।
- ग्रहण मनुष्य के पाचन क्रिया को भी प्रभावित करता है। यही कारण है कि ग्रहण के दौरान खाने-पीने पर सख्त मनाही होती है। इतना ही नहीं चंद्र ग्रहण के दौरान पके हुए भोजन को भी नहीं खाया जाता है। अगर इसे ग्रहण के बाद खाना है तो इसमें तुलसी का पत्ता डाल दिया जाता है। क्योंकि ग्रहण के दौरान उत्पन्न हानिकारण किरणें भोजन और पानी को दूषित कर देती है। ऐसा खाना खाने से पाचन क्रिया पर असर पड़ता है और अपच की समस्या हो सकती है।
- चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
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कैसे लगता है चंद्रमा को ग्रहण
विज्ञान में चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है। जिसके अनुसार, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न करती है।
पूर्णिमा के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी इन तीनों के एक रेखा में होने से चंद्रमा का प्रभाव अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा पड़ता है। इसे ही चंद्र ग्रहण कहते हैं।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)