- 19 जुलाई को रखा जाएगा पहला मंगला गौरी का व्रत।
- मंगला गौरी मां पार्वती का ही स्वरूप हैं।
- मंगला गौरी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का मिलता है आशीर्वाद।
Maa Mangla Gauri Ki Aarti Lyrics In Hindi, Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri Aarti: हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती को भी समर्पित हैं। शास्त्र के अनुसार सावन महीने का प्रत्येक मंगलवार का दिन भी बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए माता मंगला गौरी का व्रत रखती हैं। माता मंगला मां पार्वती का ही स्वरूप है। ऐसा कहा जाता है, कि मंगला गौरी की पूजा भक्ति पूर्वक करने से वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहता है। कुंवारी कन्या यदि इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करें, तो उन्हें योग्य वर प्राप्त हो सकता है। इस बार पहला व्रत मंगला गौरी का व्रत 19 जुलाई को रखा जाएगा। यदि आप भी इस बार अपने पति की लंबी आयु के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखने की सोच रही हैं, तो उनकी पूजा में ये मंत्र और आरती जरूर पढ़ें। मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र और आरती को पढ़ने से मंगला गौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मंगला गौरी की आरती अर्थ के साथ
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी।
अर्थ- हे अंबे गौरी तेरी जय हो, हे माता पार्वती गौरी आपकी जय हो, यह आप ही हैं, जिन पर हर दिन हरि ब्रह्मा और शिव ध्यान करते हैं।
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना,चंद्रवदन नीको॥
अर्थ- हे मां आपके माथे पर सिंदूर और कस्तूरी का चमकता हुआ प्रतीत हैं। आपकी दोनों आंखें टिमटिमाती हैं और आपका चेहरा चंद्रमा के समान मनमोहक है।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै॥
अर्थ- आपका शरीर सुनहरे रंग का है और लाल पोशाक में अलंकृत हैं। आपका कंठ लाल फूलों की एक माला से घिरा हुआ है, जो आपको एक सुंदर हार की तरह सुशोभित करता रहता है।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
अर्थ- हे माता आपका वाहन सिंह है, हे माता आपका वैभव से मेल खाता है, आप अपने एक हाथ में एक तलवार और एक खोपड़ी धारण करती हैं, आप ही देवताओं, पुरुषों, साधुओं और अपने भक्तों की प्रार्थनाओं में शामिल होकर उनके दुखों को दूर करती हैं।
कानन कुण्डल शोभित, नासा गज मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती॥
अर्थ- आपका कान अंगूठी से सजा हुआ है। आपके नाक की नोक पर मोती रखा गया है। आप की चमक लाखों सूर्य और चंद्रमा के समान हैं।
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
अर्थ- आपने ही शुंभ और निशुंभ का वध किया है।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
अर्थ- आपने ही चंड और मुंड का वध किया हैं, आपने आपने ही रक्तबीज का वध किया है, आपने ही मधु और कैटभ दोनों भयंकर राक्षस को मारकर देवताओं को उनके भय से मुक्त किया हैं।
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
अर्थ- आप ब्रह्मा, रुद्र और विष्णु की सबसे प्रिय पत्नी है, वेद और शास्त्र शिव की रानी पत्नी के रूप में आपकी प्रशंसा करते है।
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू॥
अर्थ- चौंसठ योगिनियाँ आपकी स्तुति करती रहती हैं, वहीं भैरव मृदंग और डमरु की ध्वनि पर नृत्य करते हैं।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता॥
अर्थ- आप ही ब्रह्मांड की माता है, आप ही इस संसार को बनाएं रखती है, आप ही अपने भक्तों के दुखों को दूर करती है और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी॥
अर्थ- आपकी अभयमुद्रा दिखाने वाली चार भुजाएं आपकी दया को प्रकट करती रहती है, जो लोग आपकी पूजा करते हैं, आप उनकी सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
अर्थ- कर्पूरर्थी, एक सुनहरी थाली में जले हुए मुसब्बर और कपूर के साथ प्रयोग किया गया है और आपके माथे की चमक एक लाख रत्नों की चमक को दर्शाती है।
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे॥
अर्थ- भगवान शिवानंद स्वामी ने कहा है, कि जो कोई भी इस आरती को गाएगा,उसे सुख और धन प्राप्त होगा। ओम जय अम्बे गौरी।
मंगला गौरी पूजा मंत्र
ह्रीं मंगले गौरि नमोऽस्तु ते॥
देवी गौरी की मूर्ति की स्थापना के लिए मंत्र
मम पुत्र पुत्र सौभाग्य वृद्धर्थे, श्री मंगला गौरी प्रीत्यर्थम, पंचवर्ष पर्यंथम मंगला गौरी व्रतमहं करिश्ये
ध्यान मंत्र
कुमकुमागरु लिप्तङ्गं सर्वाभरणं भूषितम्
नीलकण्ठप्रियं गौरीं वन्देहं मंगलाह्वायाम्
विशेष अर्घ्य मंत्र
पूजा संपूरनाथथं थु गन्ध पुष्पाक्षथै सह
विशेशर्घ्यं मया दत्तो मम सौभया हेठवे
श्री मंगला गौर्यै नमः
वायना दान मंत्र
अन्न कञ्चुकी सम्यक् सहस्रफल दक्षिणाम्
वायनं गौरी विप्रया दादामि प्रीथये थवा
सौभाग्यारोग्यं कामानं सर्व सम्पत्तिसंरुद्दाये
गौरी गिरेश थुष्ट्यर्थं वायनं ते दादाम्यहम्
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)