- काले रंग के धागे में रुद्राक्ष धारण करने से बचें
- संभोग के समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए
- 27 दानों से कम रुद्राक्ष की माला की नहीं पहननी चाहिए
Mahashivratri 2022 things to remember while handling Rudrakasha : हिंदू मान्यताओं, धर्म, शास्त्रों और पुराणों में रुद्राक्ष का काफी महत्व बताया गया है। रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का अंश माना गया है। शिव पुराण के अनुसार, मान्यता है कि रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण में विस्तृत रूप से दिया गया है।
मान्यताओं के अनुसार माता सती के देह त्यागने के बाद भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारिक तत्व की प्राप्ति हुई थी। यह भगवान शिव का साक्षात रूप है। रुद्राक्ष शरीर के किस भाग पर कितने पहने चाहिए और उसका क्या फल होता है, इसका शिव-पुराण में वर्णन दिया गया है। इसके चमत्कारिक लाभ भी होते है।
रुद्राक्ष पहनते समय बरतें ये सावधानियां
- रुद्राक्ष को हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए, काले रंग के धागे में रुद्राक्ष धारण करना अशुभ होता है।
- रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना गया है इसे स्नान करके, साफ कपड़े पहनकर ही धारण करना चाहिए।
- इसे धारण करते समय ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए.
- रुद्राक्ष को गलती से भी गंदे हाथों से न छुएं और पवित्रता का ख्याल रखें।
- किसी व्यक्ति का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी ना पहने और ना ही अपना रुद्राक्ष किसी अन्य को धारण करने के लिए दें।
- रुद्राक्ष की माला 27 दानों से कम की नहीं पहननी चाहिए और उसमें दानों की संख्या विषम ही होनी चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला, पीले या लाल धागे में पहनें या फिर सोने या चांदी की माला बनवाकर पहनें।
नहीं करें मांसाहार का सेवन
- जो लोग रुद्राक्ष पहनते हैं उनको मांसाहार-शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अनिष्टि को निमंत्रण देना है।
- ऐसा माना गया है किसी भी शवयात्रा या श्मशान जाते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
- संभोग के समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
- स्त्रियों को मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय शरीर अशुद्ध माना गया है।
- मान्याताओं के मुताबिक, बच्चे के जन्म लेने के बाद कुछ दिनों तक मां और बच्चा अशुद्ध होते हैं, ऐसे में रुद्राक्ष पहनकर उनके पास नहीं जाना चाहिए।
- जिस कमरे में जच्चा-बच्चा हों, वहां रुद्राक्ष उतारकर ही जाना चाहिए। नामकरण उपरांत आप रुद्राक्ष पहन सकते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)