- हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का है विशेष महत्व।
- इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का किया था संहार।
- मकर संक्रांति के दिन से खरमास की समाप्ति के साथ होती है सभी मांगलिक कार्यों की शुरूआत।
Makar Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India : सनातन धर्म में मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, पूजन और दान का खास महत्व भी होता है। भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को अलग अलग नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहते हैं। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान दान कर सूर्यदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था, भगवान विष्णु की जीत को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। इस बार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पावन पर्व 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को है।
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वैज्ञानिकीय दृष्टि से भी मकर संक्रांति का पर्व बेहद खास है। इस दिन से मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है, सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढ़ने लगती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य के उत्तरी गोलार्ध में जाने से ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं साल 2022 में कब है मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पावन पर्व और क्या है इसका महत्व।
कब है मकर संक्रांति 2022, Makar Sankranti 2022 date
हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस बार संक्रांति 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य देव 14 जनवरी को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे, इस दिन पुण्यकाल रहेगा। बता दें 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल का विशेष महत्व रखता है।
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Makar Sankranti Puja Muhurat : महापुण्य काल में शुभ कार्यों का होता है विशेष महत्व
इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी 2022 को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। तथा महापुण्य काल सुबह 09 बजे से शुरू होकर 10:30 तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महापुण्य काल में किया गया दान अक्षय फलदायी होता है तथा इस दौरान जाप का विशेष महत्व होता है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। इस दिन तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन तांबे के लोटे से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से पद और सम्मान में वृद्धि होती है तथा शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है।
वहीं मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने से खरमास की समाप्ति होती है और सभी मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इस दिन से एक बार फिर शादी विवाह, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
इस दिन प्राण निकलने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन प्राण निकलने से व्यक्ति का पुनर्जन्म होने के बजाए सीधे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण का इंतजार किया था।